योग से हानि

योग योग को सही समय पर सही तरीके से किया जाए तो लाभ होता है और गलत समय पर गलत तरीके से किया जाए तो कभी कभी हानि भी होती है नए लोगों को योग कम ही समय में करना चाहिए धीरे धीरे योग का समय बढ़ाना चाहिए

योग के 10 फायदे

1) योग का प्रयोग शारीरिक , मानसिक और आध्यत्मिक लाभों के लिए हमेशा से होता रहा है l आज की चिकित्सा शोधों ने ये साबित कर दिया है की योग शारीरिक और मानसिक रूप से मानवजाति के लिए वरदान है |
2) जहाँ जिम आदि से शरीर के किसी खास अंग का ही व्यायाम होता है वहीँ योग से शरीर के समस्त अंग प्रत्यंगों,ग्रंथियों का व्यायाम होता है जिससे अंग प्रत्यंग सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं |
3) योगाभ्यास से रोगों से लड़ने की शक्ति बढती है | बुढ़ापे में भी जवान बने रह सकते हैं त्वचा पर चमक आती है शरीर स्वस्थ,निरोग और बलवान बनता है |
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योग से सेहत को कितना फायदा?

योग से सेहत को कितना फायदा?

आना ट्रोएकेस: हम जानते हैं कि आजकल ज्यादातर बीमारियों का तनाव से कुछ ना कुछ संबंध होता है. रोजमर्रा के जीवन का तनाव शरीर के कई हिस्सों, हृदय के रोग से लेकर शरीर के पूरे प्रतिरोधी तंत्र पर पड़ता है. हजारों सालों से योग में इन तनावों से निपटने के तरीकों का विकास हुआ है, जिनसे जीवन में तनाव से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.

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योगासनों के गुण और लाभ

सेहत और योग

सेहत और योग

योग शरीर को सेहतमंद बनाए रखता है और कई प्रकार की शरीरिक और मानसिक परेशानियों को दूर करता है. योग श्वसन क्रियाओं को सुचारू बनाता है. योग के दौरान गहरी सांस लेने से शरीर तनाव मुक्त होता है. योग से रक्त संचार भी सुचारू होता है और शरीर से हानिकारक टाँक्सिन निकल आते हैं. यह थकान, सिरदर्द, जोड़ों के दर्द से राहत दिलाता है एवं ब्लड प्रेसर को सामान्य बनाए रखने में भी सहायक होता है.

 

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योगा करें और पायें निरोग आंखें

योगा करें और पायें

आखों के योग अपनाकर आजीवन अपनी दृष्टि को मजबूत बना सकते हैं। निश्चित अंतराल के बाद आखों की रोशनी अपने-आप कम हो जाती है। आखों के आसपास की मांसपेशियां अपने लचीलेपन को समाप्त कर देती हैं और कठोर हो जाती हैं। लेकिन अगर आखों के आस-पास की मासपेशिया मजबूत हों तो आखों की रोशनी बढ़ती है। आखों और दिमाग के बीच एक गहरा संबंध होता है। दिमाग की 40 प्रतिशत क्षमता आखों की रोशनी पर निर्भर होती है। जब हम अपनी आखों को बंद करते हैं तो दिमाग को अपने-आप आराम मिलता है। दुनिया की कुल आबादी की 35 प्रतिशत जनसंख्या निकट दृष्टि दोष और दूरदृष्टि दोष (हाइपरमेट्रोपिया) से ग्रस्त है जिसकी वजह से लोग मोटे-मोटे चश्मों का प्र Read More : योगा करें और पायें निरोग आंखें about योगा करें और पायें निरोग आंखें

घुटनों के लिए जानू नमन आसन

घुटनों के लिए

ढलती उम्र में व्यक्ति को जोड़ों से संबंधित रोग होने लगते हैं। अंग-अंग दुखता है। ज्यादा दूर चला नहीं जाता या बहुत ऊपर चढ़ा नहीं। व्यक्ति तभी तक जवान रहता है, जब तक उसके सभी अंग और जोड़ तनावरहित रहते हैं। जो लोग जानू नमन आसन करते रहते हैं उनको यह समस्या कभी नहीं सताती।

जानू घुटने को कहते हैं। क्रम से घुटनों को मोड़ने और सीधा करने को जानू नमन कहते हैं। जानू नमन आसन में अंग संचालन (सूक्ष्म व्यायाम) के अंतर्गत आता है। Read More : घुटनों के लिए जानू नमन आसन about घुटनों के लिए जानू नमन आसन

व्यस्त लोगों के लिये ध्यान: श्वास को विश्रांत करें

श्वास को विश्रांत

जब भी आपको समय मिले, कुछ मिनटों के लिये अपनी श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर दें, और कुछ नहीं―पूरे शरीर को शिथिल करने की कोई आवश्यकता नहीं। रेलगाड़ी में बैठे हों या हवाई जहाज में, या फिर कार में, किसी को पता नहीं लगेगा की आप कुछ कर रहे हैं। बस अपनी श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर लें। जब यह सहज हो जाये तो इसे होने दें। तब आंखें बंद कर लें और इसे देखें- श्वास भीतर जा रही है, बाहर जा रही है, भीतर जा रही है...

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पेट के रोग में राम-बाण है अग्निसार क्रिया

अग्निसार क्रिया

हमारे शरीर को 13 प्रकार की अग्नियां चलाती हैं, जिनमें खाना पचाने में उपयोगी सात धातुओं की अग्नि, पांच भूतों की अग्नि व एक भूख लगाने वाली जठराग्नि होती है। अतः जो इन 13 प्रकार की अग्नियों को बल दे, उसे अग्निसार कहते हैं। यह क्रिया पेट के रोगों से जीवन भर बचाव के लिए बड़ी महत्वपूर्ण है। यह भी षट्कर्म का एक अभ्यास है। Read More : पेट के रोग में राम-बाण है अग्निसार क्रिया about पेट के रोग में राम-बाण है अग्निसार क्रिया

प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा

अपानवायु मुद्रा

मुद्राओं का जीवन में बहुत महत्व है। मुद्रा दो तरह की होती है पहली जिसे आसन के रूप में किया जाता है और दूसरी हस्त मुद्राएँ होती है। मुद्राओं से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ प्रस्तुत है प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा की विधि और लाभ।

प्राण मुद्रा : छोटी अँगुली (चींटी या कनिष्ठा) और अनामिका (सूर्य अँगुली) दोनों को अँगूठे से स्पर्श करो। इस स्थिति में बाकी छूट गई अँगुलियों को सीधा रखने से अंग्रेजी का 'वी' बनता है। Read More : प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा about प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा

अगर एनर्जी पानी है, तो कीजिए ये योग मुद्राएं

कीजिए ये योग मुद्राएं

योगा आपके शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम करता है। ये एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर और आत्मा का मिलन होता है। योगा से तनाव तो कम होता ही है, साथ ही ये वजन कम करने से लेकर कई अन्य बीमारियों के इलाज में कारगर साबित होता है।
बालासन
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