धरोहर

महाबलीपुरम के स्मारकों का समूह

महाबलीपुरम के स्मारकों

अभयारण्यों का यह समूह, पल्लव राजाओं द्वारा बनाया गया था। 7वीं और 8वीं शताब्दी में कोरोमंडल के तट के चट्टानों पर खुदाई करवाया गया था। यह मुख्य रूप से अपने रथों ( रथ के रूप में मंदिरों), मंडप ( गुफा अभयारण्य), विशालकाय उभरी हुई नक्काशियां जैसे प्रसिद्ध 'गंगा के अवतरण', शिव की महिमा को दर्शाते हजारों मूर्तियों वाले किनारे पर बने मंदिर (the temple of Rivage) के लिए जाना जाता है। Read More : महाबलीपुरम के स्मारकों का समूह about महाबलीपुरम के स्मारकों का समूह

सूर्य मंदिर कोणार्क

सूर्य मंदिर कोणार्क

भारत की विरासत में वास्तुकला का चमत्कार, कोणार्क का सूर्य मंदिर, आमतौर पर जिसे कोणार्क नाम से जाना जाता है, भारत के पूर्वी राज्य ओडीशा (पहले उड़ीसा कहा जाता था) में स्थित है और पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण केंद्र में से एक है। कोणार्क भगवान सूर्य को समर्पित विशाल मंदिर है। कोणार्क शब्द 'कोण' और 'अर्क' से मिल कर बना है। 'कोण' का अर्थ है कोना और 'अर्क' का अर्थ है सूर्य, इसलिए इसका अर्थ हुआ– कोने का सूर्य। कोर्णाक का सूर्य मंदिर पुरी के उत्तर पूर्वी कोने में बना है और यह भगवान सूर्य को समर्पित है। Read More : सूर्य मंदिर कोणार्क about सूर्य मंदिर कोणार्क

रानी– की– वाव (रानी की बावड़ी) पाटण, गुजरात

रानी– की– वाव

सरस्वती नदी के किनारे पर बनी रानी– की – वाव का निर्माण आरंभ में 11वीं शताबदी में एक राजा के स्मारक के तौर पर कराया गया था। बावड़ियां भारती उपमहाद्वीप में भूमिगत जल संसाधन और भंडारण प्रणालियों का एक विशेष रूप हैं और इनका निर्माण ईसा पूर्व तीसरी सहस्राब्दी में किया गया था। समय के साथ इनका विकास हुआ जो मूल रूप से रेतीली मिट्टी में गढ्ठा के रूप में हुआ करता था, विकसित रूप में यह वास्तुकला एवं स्थापत्य कला की बहु–मंजिला इमारत बन गया। रानी– की– वाव का निर्माण बावड़ी के निर्माण और मारु– गुर्जर स्थापत्य शैली में कारीगर की क्षमता के आधार पर बनाया गया था। यह उसके जटिल तकनीक और विस्तार एवं महारथ को दर Read More : रानी– की– वाव (रानी की बावड़ी) पाटण, गुजरात about रानी– की– वाव (रानी की बावड़ी) पाटण, गुजरात

The Dharamanath temple (Dharamarajeshwara)

The Dharamanath temple (Dharamarajeshwara)

The Dharamanath temple (Dharamarajeshwara) is entirely cut out of the rock. It has a sanctum with a sabha mandapa. The large temple in the centre is dedicated to Siva. Other prominent sculptures in the temple are Bhairava and Kalki avatar of Vishnu. #EkBharatShreshthaBharat Prahlad Singh Patel PMO India Incredible India Madhya Pradesh Tourism

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महान चोल मंदिर

महान चोल मंदिरों का निर्माण चोल साम्राज्य के राजाओं द्वारा करवाया गया था। यह पूरे दक्षिण भारत और पड़ोसी द्वीपों में बना हुआ है। यहां 11वीं और 12वीं शताब्दी के मंदिर– तंजावुर का बृहदेश्वरा मंदिर, गंगाईकोंडाचोलिश्वरम का बृहदेश्वर मंदिर और दारासुरम का एरावाटेश्वर मंदिर। गंगाईकोंडाचोलिश्वरम का मंदिर का निर्माण राजेन्द्र प्रथम ने करवाया था और यह 1035ई. Read More : महान चोल मंदिर about महान चोल मंदिर

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

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भरतपुर पक्षी अभयारण्य के नाम से जाना जाने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत के दो सबसे ऐतिहासिक शहरों आगरा और जयपुर के बीच है। उत्तर भारत का यह उद्यान देश के राजस्थान राज्य के उत्तर पश्चिम हिस्से में स्थित है। वर्ष 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था और 1985 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया। यह उद्यान बास्किंग पैथॉन (बास्किंग अजगर), पेंटेड स्टॉर्क, हिरण, नीलगाय और अन्य पशुओं समेत 370 से अधिक पक्षी और पशु प्रजातियों का निवास स्थान है। यह मुख्य रूप से प्रवासी साइबेरियाई सारसों के लिए जाना जाता है। Read More : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान about केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

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