भ्रामरी प्राणायाम करे

किस स्थिति में बैठना चाहिए:- इस प्रकार ध्यान के आसान में बैठें.

विधि:-

  • आसन में बैठकर रीढ़ को सीधा कर हाथों को घुटनों पर रखें . तर्जनी को कान के अंदर डालें।
  • दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे-धीरे ओम शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज में कंठ से भौंरे के समान गुंजन करें।
  • नाक से श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दे।
  • पूरा श्वास निकाल देने के पश्चात भ्रमर की मधुर आवाज अपने आप बंद होगी।
  • इस प्राणायाम को तीन से पांच बार करें|

 लाभ इस प्रकार है -

  • ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद है
  • वाणी तथा स्वर में मधुरता आती है।
  • उच्च रक्त चाप पर नियंत्रण करता है
  • मन की चंचलता दूर होती है एवं मन एकाग्र होता है।
  • पेट के विकारों का शमन करती है।

 

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