अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम प्राणायाम

दांये हाथ को ऊपर उठायें। दांये हाथ के अंगुठे से दाहिनी नासिका बन्द करें और बांयी नासिका से श्वांस को लम्बा गहरा धीरे धीरे फेफड़ों में भरेंगे। पूरा श्वांस भरने के पश्चात दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली से बांयी नासिका को बन्द कर देंगे व अंगूठे को दांयी नासिका से हटा लेंगे अर्थात दांयी नासिका खोलते हुये, लिये गये श्वांस को बिना अन्दर रोके दांयी नासिका से धीरे धीरे पूरा बाहर छोड़ देंगे तथा बाहर भी श्वांस को बिना रोके जिस नासिका (दांयी) से श्वांस बाहर छोड़ा है उसी नासिका से श्वांस को धीरे धीरे फेफड़ों में भरेंगे। पूरा श्वांस भरने के पश्चात दायें हाथ के अंगुठे से दाहिनी नासिका बंद कर देंगे और बांयी नासिका पर से अनामिका अंगुली हटाते हुये लिये गये श्वांस को बिना अन्दर रोके बांयी नासिका से धीरे धीरे पूरा बाहर छोड़ देंगे। यह एक आवृति अनुलोम विलोम प्राणायाम की हुई ।
 

दिन प्रतिदिन लगातार करने की अवधि बढ़ाते हुये 5 से 15 मिनट करें।

लाभ: इस प्राणायाम से सांसों का शुद्धिकरण होने से पूरे नाड़ी तंत्र का शोधन होता है, इससे दूषित वायु शरीर से बाहर निकलती है व आॅक्सीजन की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है। इससे सन्धिवात, गठिया, कम्पवात, स्नायुदौर्बल्य आदि समस्त वातरोग एवं सर्दी, जुकाम, सायनस, खांसी, टाॅन्सिल, अस्थमा, आदि समस्त कफ रोग दूर होते हैं। त्रिदोषनाशक है। हृदय के ब्लाॅकेज खुलते हैं। सिरदर्द, माइग्रेन, मानसिक तनाव दूर होता है व विवेक जाग्रत होता है।

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