अब लीजिए दिमाग़ का बैक-अप
Submitted by hayatbar on 16 September 2017 - 7:35amइंसान सदियों से गुफ़ाओं की दीवारों पर चित्र उकेरकर अपनी यादों को विस्मृत होने से बचाने की कोशिश कर रहा है.
पिछले काफ़ी समय से मौखिक इतिहास, डायरी, पत्र, आत्मकथा, फ़ोटोग्राफ़ी, फ़िल्म और कविता इस कोशिश में इंसान के हथियार रहे हैं.
आज हम अपनी यादें बचाए रखने के लिए इंटरनेट के पेचीदा सर्वर पर - फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, जीमेल चैट, यू-ट्यूब पर भी भरोसा कर रहे हैं.
ये इंसान की अमर बने रहने की चाह ही हो सकती है कि इटर्नी डॉट मी नाम की वेबसाइट तो मौत के बाद लोगों की यादों को सहेज कर ऑनलाइन रखने की पेशकश करती है.
लेकिन आपको किस तरह से याद किया जाना चाहिए? Read More : अब लीजिए दिमाग़ का बैक-अप about अब लीजिए दिमाग़ का बैक-अप