असंग देव जी महाराज का सत्संग

क्या जीवन को सीधा देखना संभव नहीं है?

क्या जीवन को सीधा देखना संभव नहीं है?

शिक्षाशास्त्र से भी मेरी दृष्टि भिन्न और विरोधी हो सकती है। मैं न तो शिक्षाशास्त्री ही हूं और न समाजशास्त्री ही। किंतु यह सौभाग्य की बात है। क्योंकि जो जितना अधिक शास्त्र को जानते हैं, उनके लिए जीवन को जानना उतना ही कठिन हो जाता है। शास्त्र सदा ही सत्य के जानने में बाधा बन जाते हैं। शास्त्र से भरे हुए चित्त में चिंतन समाप्त हो जाता है। चिंतन के लिए तो निर्भार और पक्षपात मुक्त चित्त चाहिए न! Read More : क्या जीवन को सीधा देखना संभव नहीं है? about क्या जीवन को सीधा देखना संभव नहीं है?