कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात के बढ़ने से कब्ज होती है। खान-पान की गलत आदतें, जितनी भूख लगी है, उससे ज्यादा खाना, मीट और ऐसे ही मुश्किल से पचने वाली भारी अन्न पदार्थों को खाना और फल-सब्जियां-सलाद कम खाने से कब्ज होती है। नींद पूरी न होना, तनाव-भय-चिंता या शोक आदि से भावनात्मक दबाव पैदा होता है, जिससे मल त्याग के रास्ते में रुकावट पैदा होने और आंतों में विषाक्त तत्व जमा होने के अलावा नर्वस सिस्टम ज्यादा उत्तेजित रहने के कारण भी कब्ज बन जाती है। नशीली दवाएं व स्मोकिंग भी कब्ज का कारण है। कैसे पहचानें कब्ज 

 

अगर रोजाना ढंग से पेट साफ नहीं होता। 
हमेशा ऐसा लगता रहे कि पेट से मल पूरी तरह से बाहर नहीं निकला है। 
बार-बार टॉइलेट जाएं, मगर फिर भी मोशन आने का अंदेशा बना रहे। इसे सीधे तौर पर कब्ज नहीं कहा जाता, मगर यह कब्ज का ही एक रूप यानी उदर विकार ( पेट साफ न होने की बीमार) है। 

कब्ज के लक्षण 
गैस बनना, पेट में हवा भरना, पेट में दर्द या भारीपन, सिरदर्द, भूख में कमी, जीभ पर अन्न कणों का जमा होना या मुंह का स्वाद बिगड़ना। चक्कर आना, टांगों में दर्द होना, बुखार, नींद-सी छाई रहना और धड़कन का बढ़ जाना। 

कब्ज के कारण 

नाभि का ऊपर की तरफ खिसक जाना। 
बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में रहना। 
तला-भुना, मसालेदार गरिष्ठ भोजन करना। 
एलोपैथिक दवाओं का ज्यादा सेवन करना। 
खाने का समय नियमित न होना। 
टॉइलेट जाने की जरूरत महसूस होने पर भी तमाम वजहों से उसे टालते रहना। 
अधिक सेक्स करने की वजह से नाभि अपनी जगह से खिसक जाती है, इसकी वजह से शरीर कमजोर होने से तमाम विकार उत्पन्न हो जाते हैं। इस वजह से कब्ज भी हो जाता है। 
स्मोकिंग या तंबाकू के दूसरे तरीकों से सेवन के कारण। नशीली दवाओं के सेवन से। 
कोल्ड ड्रिंक या शराब जरूरत से ज्यादा पीने की वजह से। 
जितनी भूख लगी है, उससे कम खाना खाना। 

आयुर्वेद में कब्ज का इलाज 

हिमालय ड्रग्स की हर्बोलेक्स की दो गोली, रात को गुनगुने पानी से। 

गंधर्व हरीतकी चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से। 

स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से। 

त्रिवृत्त चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से। 

सेज कंपनी का त्रिफला सीरप दो चम्मच पानी के साथ। शुगर के पेशंट्स के लिए इस दवा का इस्तेमाल न करें। 

सीगल कंपनी का फिगोलेक्स सीरप दो चम्मच, रात को पानी के साथ। 

सॉफ्टोवैक पाउडर एक से दो चम्मच। यह दवा ईसबगोल का ही एक रूप है। शुगर पेशंट्स के लिए यह पाउडर सॉफ्टोवैक-एसएफ या शुगर फ्री के नाम से आता है। 

त्रिफगोल एक चम्मच पाउडर, रात को पानी से। 

बिल्वादि चूर्ण एक चम्मच, गुनगुने पानी से। 

केस्टॅर ऑयल (अरंड का तेल) दो छोटे चम्मच। इसमें थोड़ा सा गुनगुना पानी या दूध मिला लें। 

आरोग्यवधिर्नी वटी दो-दो गोली सुबह-शाम पानी से। 

गुलकंद एक-एक चम्मच सुबह-शाम दूध से। 

पंचसकार चूर्ण एक चम्मच रात के समय। 

नोट - इनमें से कोई एक उपाय करें। 

ऐलोपैथी 

क्या है कब्ज 
अगर शौच जाने पर निकलने वाला मल सख्त हो या उसके निकलने में बहुत जोर लगाना पड़े या मल की प्रकृति सामान्य न हो, तो उसे कब्ज कहते हैं। 

कब्ज के कारण 
कई ऐसी बमारियां हैं, जिनकी वजह से कब्ज की बीमारी हो जाती है। मसलन रसौली ( आंत में गांठ) की बीमारी की वजह से कब्ज हो जाता है। इसी तरह किसी वजह से आंत में रुकावट आने की वजह से भी कब्ज हो जाता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर से सलाह करें। ज्यादातर मामलों में ऑपरेशन किया जाता है। 

अगर किसी को हाल ही में कब्ज शुरू हुआ है, पेट में तेज दर्द होता हैया पेट बुरी तरह फूल जाता है। उल्टियां आ रही हैं या फिर मोशन के दौरान ब्लड आ रहा है, तो फौरन डॉक्टर से सलाह लें। 

लगातार पेनकिलर्स या नॉरकोटिस, एनलजेसिक या दर्द निवारक दवाएं खाने वाले भी कब्ज का शिकार हो जाते हैं। यदि ऐसी दवाओं को रोक दिया जाए तो कब्ज ठीक हो जाएगी। 

हॉरमोंस की प्रॉब्लम, थाइरॉयड या शुगर से भी कब्ज हो जाती है। 

पारकिन्सन्स, पैरालिसिस से ग्रस्त या बिस्तर पर लेटे रोगियों को भी कब्ज हो जाती है। 

क्या है इलाज 

अगर कब्ज से दूर रहना है, तो छोटी मोटी शारीरिक परेशानियों में फौरन दवा खाने की आदत से बचें। मतलब यह है कि कम से दवाइयां खाएं। 

खानपान का ध्यान रखें। हरी और रेशेदार सब्जियां और लिक्विड मसलन, दूध, फलों का रस, शिकंजी आदि का सेवन करें। 

रेग्युलर एक्सर्साइज करें। अगर वजन सही अनुपात में है और बॉडी फिट है, तो कब्ज की आशंका कम ही रहती है।

कब्ज की दवाओं के सहारे पेट साफ करने की आदत सही नहीं है। लंबे समय तक इन दवाओं को खाने से अंतडि़यों में सूजन आ जाती है। इन दवाओं की आदत भी पड़ जाती है। 

दूध-दही या पानी के साथ रात के समय ईसबगोल की भूसी दो चम्मच लें। 

अगर ऊपर बताए उपाय करने पर भी कब्ज से आराम नहीं मिल रहा है, तो कुछ दिनों के लिए लेक्टोलॉज 15 एमएम की गोली ले सकते हैं। 

डॉक्टर मनोवैज्ञानिक सलाह और ट्रेनिंग के जरिए भी कब्ज के रोगियों का इलाज करते हैं। 

योग के जरिए कब्ज का इलाज 

कपालभाति प्राणायाम धीरे-धीरे एक बार में जितना कर सकें। ऐसे तीन से चार राउंड करने की सलाह दी जाती है। इसे करते समय आंखें बंद रखें और ध्यान पेट पर लगाएं। मन में यह भाव लाएं कि आंतों की क्रियाशीलता बढ़ रही है और कब्ज दूर हो रहा है। 

अग्निसार क्रिया, उर्ध्व हस्तोत्तानासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मंडूकासन और भस्त्रिका प्राणायाम। 

धनुरासन, उत्तानपाद, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन भी कब्ज दूर करने में सहायक होते हैं। 

कोई भी आसन तीन से चार बार कर सकते हैं। मगर गोल्डन रूल यही है कि योग अपनी शक्ति और सार्मथ्य के हिसाब से ही करें, जबरन नहीं। 

दो-तीन दिन में एक बार गुनगुने पानी की एनीमा लें। 

कुछ दिनों के अंतराल पर लघु शंखप्रक्षालन करते रहें। 

क्या होता है लघु शंखप्रक्षालन- 
सुबह खाली पेट नमक मिला गुनगुना पानी पीकर कुछ विशेष आसन करने होते हैं। उसके बाद मोशन के जरिए पेट की सफाई होने लगती है। 

मुद्रा विज्ञान के जरिए इलाज 

अपान मुद्रा को एक से पचीस मिनट तक रोजाना करें। 

हॉम्योपैथी 
हॉम्योपैथी किसी भी बीमारी के मूल कारणों को दूर करने पर जोर देती है। कब्ज की अलग-अलग वजहों के लिए हॉम्योपैथी में अलग-अलग दवाएं हैं- 

डाइट चार्ट 
कब्ज की सबसे बड़ी वजह होती है खान-पान की अनियमितता। अगर हमें पता हो कि कौन सी चीजें खाने से पेट अच्छे ढंग से साफ होता है और कौन सी चीजों से कब्ज होता है, तो खानपान के सहारे ही इस बीमारी से दूर रहा जा सकता है। 

खाएं 
फल - मौसमी, संतरा, नाशपाती, तरबूज, खरबूजा, आड़ू, अन्ननास, कीनू, सरदा, आम, शरीफा, अमरूद, पपीता व रसभरी, थोड़ा-बहुत अनार। यानी मुख्य रूप से रेशेदार फल ही लें। 

सब्जियां - रसे वाले या दूसरी सब्जियों में मिलाकर बनाए गए आलू, बंदगोभी, फूलगोभी, मटर, सभी प्रकार की फलियां, शिमला मिर्च, तोरी, टिंडा, लौकी, परमल, गाजर, थोड़ी बहुत मेथी, मूली, खीरा , ककड़ी, कद्दू- पेठा, पालक, नींबू व सरसों। कब्ज के लिए बथुआ खास तौर पर अच्छा होता है। 

दालें - उड़द की छोड़कर सभी साबुत यानी छिलके वाली दालें। 

अनाज- रोटी बनाने के लिए गेंहूं के आटे में काले चने का आटा या चोकर मिलाकर आटा गूंदें। पांच किलोग्राम आटे में में ढाई सौ ग्राम चोकर मिला लें। 

चावल कम खाएं। 

क्रीम निकला हुआ यानी टोंड दूध ही पीएं। 
कोल्ड ड्रिंक के रूप में शर्बत, शिकंजी, नींबू पानी या लस्सी को प्राथमिकता दें। 

जमकर पानी पिएं। 

परहेज करें 

फल- चीकू, केला, सेब, अंगूर, शरीफा, लीची। 

सब्जियां -अरबी, भिंडी, कचालू, रतालू, बैंगन, जिमीकंद, चुकंदर। 

दालें -राजमा, सफेद छोले, साबुत उड़द, चने, सोयाबीन, लोबिया (खास तौर पर रात के वक्त इन्हें खाने से परहेज करें) 

मीट, अंडा व मछली कब्ज करती हैं। इन्हें दूसरी सब्जियों के साथ मिलाकर खाएं। 

जूस के बजाय साबुत फल खाएं। 

पनीर, मक्खन व घी से बचें। पनीर को पालक के साथ खा सकते हैं। 

मलाई वाला दूध। 

ध्यान दें 
फास्ट फूड, जंक फूड यानी मैदे आदि से बनी चीजों से परहेज करें।

कब्‍ज के उपचार के घरेलू उपाय

कब्‍ज के उपचार के घरेलू उपाय

अक़सर आपका पेट ठीक तरह से साफ नहीं होता है तो इसका मतलब कब्ज हो सकता है और आपके शरीर में तरल पदार्थ की कमी है। कब्ज के दौरान आप खुद में तरोजाता महसूस नहीं कर पाते। कब्ज का यदि ठीक समय पर इलाज न कराया जाए तो ये एक भयंकर बीमारी का रूप ले सकता है। कब्ज होने पर व्यक्ति को पेट संबंधी दिक्कूते जैसे पेट दर्द होना, ठीक से फ्रेश होने में दिक्कत होना, शरीर का मल पूरी तरह से न निकलना इत्यांदि होती हैं। कब्ज के लिए प्रभावी प्राकृतिक उपचार तो मौजूद है ही साथ ही आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से भी कब्ज को दूर किया जा सकता है। आइए जानें कब्ज के लिए कौन-कौन से आयुर्वेदिक उपचार मौजूद हैं। Read More : कब्‍ज के उपचार के घरेलू उपाय about कब्‍ज के उपचार के घरेलू उपाय