करी पत्ता की खेती

कड़वे अनुभव से दूर रहना है तो खाएं मीठी नीम

हम भोजन में से कढ़ी पत्ता अक्सर निकाल कर अलग कर देते है. इससे हमें उसकी खुशबू तो मिलती है पर उसके गुणों का लाभ नहीं मिल पाता. कढ़ी पत्ते को धो कर छाया में सुखा कर उसका पावडर इस्तेमाल करने से बच्चे और बड़े भी भी इसे आसानी से खा लेते है, इस पावडर को हम छाछ और निम्बू पानी में भी मिला सकते है. इसे हम मसालों में, भेल में भी डाल सकते है. प्रतिदिन भोजन में कढ़ी पत्ते को दाल, सब्ज़ी में डालकर या चटनी बनाकर प्रयोग किया जा सकता है, जिस प्रकार दक्षिण भारत में किया जाता है.

इसकी छाल भी औषधि है. हमें अपने घरों में इसका पौधा लगाना चाहिए. Read More : कड़वे अनुभव से दूर रहना है तो खाएं मीठी नीम about कड़वे अनुभव से दूर रहना है तो खाएं मीठी नीम

दालचीनी की खेती कैसे करे

दालचीनी (सिन्नमोमम विरम) (कुल: लौरोसिया) सबसे पुराने मसलों में से एक है। मुख्यतः इसके वृक्ष की शुष्क आन्तरिक छाल की पैदावार की जाती है। दालचीनी श्रीलंका मूल का वृक्ष है तथा भारत में केरल एवं तमिलनाडू में इसकी पैदावार कम ऊंचाई वाले पश्चिमी घाटों में, यह वृक्ष कम पोषक तत्व युक्त लैटेराइट एवं बलुई मृदा में उगाए जा सकते हैं। इनके लिए समुद्र तट से लगभग 1000 मीटर ऊंचाई वाले स्थान अनुकूल होते हैं। यह मुख्यत: वर्षा आधारित होते हैं। इसके लिए 200-250 से मीटर वार्षिक वर्षा अनुकूल है।

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