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अदरक की खेती
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खाने का जायका बढ़ाने के साथ ही सेहत पर पैनी नजर रखने वाली अदरक ने उत्तराखंड में नकदी फसल के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है। औषधीय गुणों से भरपूर अदरक अब पर्वतीय किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारेगी। इसकी खेती के माध्यम से सैकड़ों किसान अब अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने की आस लगाए हुए हैं।
इसके लिए राज्य सरकार ने भी किसानों को छूट के साथ कई प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई हैं। राज्य के कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि अकेले देहरादून में ही करीब 425 हेक्टेयर में किसानों द्वारा अदरक की खेती की जाती है और पूरे राज्य में लगभग 4,400 टन अदरक का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि अदरक की खेती करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति में अच्छा खासा सुधार देखने को मिला है। राज्य सरकार ने किसानों को सस्ती दर पर बीज मुहैया कराने के अलावा, इस तरह की नकदी फसल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। देहरादूर के जिला उद्यान अधिकारी ए के सिंह ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से किसानों को सर्वश्रेष्ठ किस्म का बीज मुहैया कराया जा रहा है, जिससे अधिक से अधिक अदरक का उत्पादन हो सके।
अदरक के बीज को छोटे से छोटे किसानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए बीज के छोटे-छोटे पैक भी तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ी अदरक की मांग देश के अन्य हिस्सों में भी काफी अधिक है और इसीलिए इसकी आपूर्ति की भी व्यवस्था की गई है। बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलने से किसान इसके उत्पादन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इसकी खासियत यह है कि इसका दाम तुरंत मिल जाता है।
अदरक के उत्पादन से संबधित आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि अकेले देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 425 हेक्टेयर क्षेत्र में अदरक का उत्पादन किया जा रहा है। इस राज्य के कालसी क्षेत्र में सबसे अधिक 150 हेक्टेयर क्षेत्र में 1654 टन अदरक का उत्पादन किया जाता है, जबकि विकासनगर के 67 हेक्टेयर क्षेत्र में 750 टन अदरक का उत्पादन होता है। इसी तरह रायपुर के 53 हेक्टेयर क्षेत्र में 530 टन अदरक का उत्पादन होता है और डोईवाला के 49 हेक्टेयर क्षेत्र में 534 टन, सहसपुर के 43 हेक्टेयर क्षेत्र में 462 टन तथा चकराता के 43 हेक्टेयर क्षेत्र में 481 टन अदरक का उत्पादन किया जाता है।