अदरक की खेती कैसे करे

अदरक की खेती

किसान भाई अदरक की आधुनिक तकनीकी से खेती कर के अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है| अदरक की उन्नत खेती कैसे करे इसकी सम्पुर्ण जानकारी और अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए यहां कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया है| जिनको अच्छी पैदावार के लिए जानना अति आवश्यक है| किसान भाई जैविक खेती पद्धति को जानने के लिए पढ़ें- जैविक खेती कैसे करें पूरी जानकारी

अदरक के लिए जलवायु और भूमि 
1. इस फसल के लिए गर्म और नम जलवायु उपयुक्त रहती है| इसके लिए 19 से 28 डिग्री सेल्शियस तापमान अच्छा रहता है| इसको छाया वाले स्थानों पर भी उगाया जा सकता है|

2. अदरक की खेती  सभी प्रकार की उपजाऊ और जीवांशयुक्त मिट्टी जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो वहां सफलतापुर्वक की जा सकती है| लेकिन इसके लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है| जिसका पीएच मान 6.0 से 6.5 के मध्य होना चाहिए|

खेत की तैयारी और खाद उर्वरक प्रबंधन

1. खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए| इसके बाद 5 से 6 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करनी चाहिए| ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए, इसके बाद पाटा लगा देना चाहिए|

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2. अदरक की फसल के लिए दूसरी या तीसरी जुताई में 250 से 300 क्विंटल कम्पोस्ट या गली सड़ी गोबर की खाद डालनी चाहिए ताकि वह अच्छे से मिट्टी में मिल जाए| इसके साथ साथ 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालनी चाहिए| नाइट्रोजन की आधी मात्रा, और फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा आखरी जुताई के समय डालनी चाहिए| नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा दो बार एक बुवाई से 25 से 30 दिन बाद और दूसरी 50 से 60 दिन बाद आधी आधी देनी चाहिए|

अदरक की किस्में और बुवाई 
उन्नत किस्में

आईआईएसआर वरदा- यह किस्म 200 से 210 दिन में तैयार हो जाती है, इसकी पैदावार 22 से 23 टन (ताजे कन्द) प्रति हेक्टेयर है|

सुप्रभा- यह किस्म 225 से 235 दिन में तैयार हो जाती है, इसकी पैदावार 16 से 17 टन (ताजे कन्द) प्रति हेक्टेयर है|

सुरुचि- यह किस्म 215 से 225 दिन में तैयार हो जाती है, इसकी पैदावार 11 से 12 टन (ताजे कन्द) प्रति हेक्टेयर है|

सुरभी- यह किस्म 220 से 230 दिन में तैयार हो जाती है, इसकी पैदावार 17 से 18 टन (ताजे कन्द) प्रति हेक्टेयर है|

हिमगिरी- यह किस्म 225 से 235 दिन में तैयार हो जाती है, इसकी पैदावार 13 से 14 टन (ताजे कन्द) प्रति हेक्टेयर है|

आईआईएसआर महिमा- यह किस्म 195 से 205 दिन तक तैयार हो जाती है, इसकी पैदावार 23 से 24 टन (ताजे कन्द) प्रति हेक्टेयर है|

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आईआईएसआर रजाता- यह किस्म 195 से 205 दिन तक तैयार हो जाती है, इसके पैदावार 22 से 23 (ताजे कन्द) प्रति हेक्टेयर है|

इसके आलावा अन्य किस्में- कार्तिका, अथिरा आदि उन्नत किस्में भी 200 दिन में तैयार हो जाती है|

अदरक की बुवाई 
1. अदरक की बुवाई के समय उन्नत किस्म का चुनाव करे, इसकी बुवाई फरवरी से लेकर मई तक की जा सकती है| अदरक की बुवाई करने का उपयुक्त समय मार्च से अप्रेल तक रहता है| इसकी समय पर बुवाई करने से अच्छी उपज प्राप्त होती है|

2. बुवाई की कंदों का भार प्रत्येक कन्द के 1 से 2 आखं के साथ 20 से 25 ग्राम होना उचित रहता है| बुवाई से पहले कंदों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या बाविस्टिन या 2.5 ग्राम मेन्कोजेब से प्रति किलोग्राम बीज को पानी में 25 से 30 मिनट डुबो कर उपचारित करना चाहिए| उसके बाद उनको छाव में सुखाकर बुवाई करनी चाहिए|

3. इसके लिए लाइन से लाइन की दुरी 20 से 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दुरी 15 से 20 सेंटीमीटर इसकी रोपाई 5 से 10 सेंटीमीटर गहराई पर करनी चाहिए| रोपाई के लिए 23 से 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा उपयुक्त रहती है|

सिंचाई और खरपतवार प्रबंधन 
1. बीज रोपण के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए| इसके बाद यह वर्ष ऋतू की फसल है पानी की आवश्यकता नही पड़ती| लेकिन यदि बारिश नही होती है तो 10 से 15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए या फिर आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए|

2. इसकी खेती में आवश्यतानुसार खरपतवार की लिए निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए, यदि कीटनाशक से नियंत्रण चाहते है, तो 3.5 पेंडामेथालिन को 800 से 900 लिटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर बुवाई के 2 दिन के अंदर तक छिड़काव करना चाहिए| जिससे खरपतवार का जमाव ही नही होगा|

अदरक के रोग और कीट रोकथाम

1. इस फसल में मृदु विगलन, जीवाणु म्लानि, पर्ण चित्ती और सूत्रकृमि रोग प्रमुख है| इनकी रोकथाम के लिए बीज को अच्छे से उपचारित कर के बुवाई करनी चाहिए| रोग रोधी किस्म का चुनाव करना चाहिए| रोगी पौधों को उखाड़ कर मिट्टी में दबा देना चाहिए| इसके साथ साथ 2 ग्राम गंधक प्रति लिटर पानी और 0.5 प्रतिशत मिथाइल डिमेटान 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करते रहना चाहिए|

2. अदरक की फसल में तना बेधक, राइजोम शल्क और लघु किट जैसे कीट लगते हा इनकी रोकथाम के लिए मैलाथियान, डाइमेथोए और क्युनाल्फोस तीनों से एक एक मिलीलीटर दवा और एक लिटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए| इसके बाद 25 किलोग्राम क्लोरोफयरिफास का चूर्ण प्रति हेक्टेयर के हिसाब से राख में मिलाकर बुरकाव करना चाहिए|

अदरक की खुदाई और पैदावार 
1. यह फसल 190 से 230 दिन तक तैयार हो जाती है| जब पौधों की पत्तियां पिली पड़ जाए और गिरने लगे तो इसकी खुदाई शुरू कर देनी चाहिए| अच्छे भाव के लिए आप इसकी खुदाई 150 दिन के बाद भी शुरू कर सकते है|

2. किस्म, अनुकूल मौषम और उपरोक्त विधि के अनुसार अदरक की खेती करने के बाद इसकी उपज 12 से 18 टन (ताजे कन्द) मिलनी चाहिए|

तो उपरोक्त विवरण से किसान भाई समज गये होंगे की अदरक की उन्नत खेती कैसे करे, जिससे अच्छी पैदवार और अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सके| इस तरह किसान भाई अच्छी उपज अदरक की प्राप कर सकते है|

 

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