नासाग्र को देखना (ध्यान)—ओशो
Submitted by Anand on 31 July 2019 - 12:42pmलाओत्से ने कहा: व्यक्ति नासाग्र की और देखे।
क्यों—क्योंकि इससे मदद मिलती है, यह प्रयोग तुम्हें तृतीय नेत्र की रेखा पर ले आता है। जब तुम्हारी दोनों आंखें नासाग्र पर केंद्रित होती है तो उससे कई बातें होती है। मूल बात यह है कि तुम्हारा तृतीय नेत्र नासाग्र की रेखा पर है—कुछ इंच ऊपर, लेकिन उसी रेखा में। और एक बार तुम तृतीय नेत्र की रेखा में आ जाओ तो तृतीय नेत्र का आकर्षण उसका खिंचाव, उसका चुम्बकत्व रतना शक्तिशाली है कि तुम उसकी रेखा में पड़ जाओं तो अपने बावजूद भी तुम उसकी और खींचे चले आओगे। तुम बस ठीक उसकी रेखा में आ जाना है, ताकि तृतीय नेत्र का आकर्षण, गुरुत्वाकर्षण सक्रिय हो जाए। एक बार तुम ठीक उसकी रेखा में आ जाओं तो किसी प्रयास की जरूरत नहीं है। Read More : नासाग्र को देखना (ध्यान)—ओशो about नासाग्र को देखना (ध्यान)—ओशो