निष्क्रिय विधियां : विश्रांति के चार तल
Submitted by Anand on 20 July 2019 - 12:43pm
यह विशेष ध्यान विधि उन घड़ियों के लिये उपयोगी है जब आप बीमार होते हैं क्योंकि यह आपके तथा आप के देह -मन के बीच एक प्रेमपूर्ण सूत्र स्थापित करने में तथा सौहार्द्र् पैदा करने में सहायक होती है। तब अपनी उपचार -प्रक्रिया में आपका योगदान सक्रिय होने लगता है।
पहला चरण: देह
"जितनी बार हो सके, स्मरण रखें और देखें कि कहीं आप अपनी देह के भीतर कोई तनाव तो नहीं लिये चल रहे- गर्दन, सिर, टांगें... इसे होशपूर्व शिथिल करते जायें। शरीर के उसी अंग पर जायें और उसी अंग को सहलायें, इसे प्रेमपूर्वक कहें ‘शांत हो जाओ!’
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