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योग के आसन
रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए हलासन
Submitted by hayatbar on 22 September 2019 - 7:11amइस आसन के अभ्यास की स्थिति में आसन करने वाले व्यक्ति का आकार हल के समान होता है, इसलिए इसे हलासन कहते हैं। अगर आप दिनभर ऑफिस में बैठ कर काम करते हैं और आपकी गर्दन और पीठ हमेशा अकड़ी रहती है तो यह आसन उसे ठीक कर सकता है। शास्त्रों के अनुसर जिस व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी जितनी मुलायम व लचीली होगा व्यक्ति उतना ही स्वस्थ एवं लम्बी आयु को प्राप्त करेगा। हलासन के अभ्यास से थायरायड तथा पैराथायरायड ग्रंथियों की अच्छी तरह से मालिश हो जाती है, जिससे गले सम्बन्धी सभी रोग दूर हो जातेहैं। इस आसन को करते समय हृदय व मस्तिष्क को बिना किसी कोशिश की खून की पूर्ति होती है। जिससे हृदय मजबूत होता है और शरीर में खू Read More : रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए हलासन about रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए हलासन
स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद पांच योग आसन
Submitted by hayatbar on 18 July 2019 - 1:15pmहेल्दी और पीसफुल लाइफ जीने के लिए स्टूडेंट्स को नियमित रूप से योग करना चाहिए. जानिए पांच ऐसे योग आसन जो आपकी ब्रेन और बॉडी दोनों को बनाएंगे परफेक्ट:
योग हर उम्र के व्यक्ति के लिए फायेदमंद होता है. हेल्दी और पीसफुल लाइफ जीने के लिए स्टूडेंट्स को नियमित रूप से योग करना चाहिए. योग पढ़ाई के प्रेशर का कम करने के साथ एकाग्रता को बढ़ाता है. जानिए पांच ऐसे योग आसन जो आपकी ब्रेन और बॉडी दोनों को बनाएंगे परफेक्ट:
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सेहत और योग
Submitted by hayatbar on 30 October 2018 - 5:54amयोग शरीर को सेहतमंद बनाए रखता है और कई प्रकार की शरीरिक और मानसिक परेशानियों को दूर करता है. योग श्वसन क्रियाओं को सुचारू बनाता है. योग के दौरान गहरी सांस लेने से शरीर तनाव मुक्त होता है. योग से रक्त संचार भी सुचारू होता है और शरीर से हानिकारक टाँक्सिन निकल आते हैं. यह थकान, सिरदर्द, जोड़ों के दर्द से राहत दिलाता है एवं ब्लड प्रेसर को सामान्य बनाए रखने में भी सहायक होता है.
योगा करें और पायें निरोग आंखें
Submitted by hayatbar on 29 October 2018 - 7:55amआखों के योग अपनाकर आजीवन अपनी दृष्टि को मजबूत बना सकते हैं। निश्चित अंतराल के बाद आखों की रोशनी अपने-आप कम हो जाती है। आखों के आसपास की मांसपेशियां अपने लचीलेपन को समाप्त कर देती हैं और कठोर हो जाती हैं। लेकिन अगर आखों के आस-पास की मासपेशिया मजबूत हों तो आखों की रोशनी बढ़ती है। आखों और दिमाग के बीच एक गहरा संबंध होता है। दिमाग की 40 प्रतिशत क्षमता आखों की रोशनी पर निर्भर होती है। जब हम अपनी आखों को बंद करते हैं तो दिमाग को अपने-आप आराम मिलता है। दुनिया की कुल आबादी की 35 प्रतिशत जनसंख्या निकट दृष्टि दोष और दूरदृष्टि दोष (हाइपरमेट्रोपिया) से ग्रस्त है जिसकी वजह से लोग मोटे-मोटे चश्मों का प्र Read More : योगा करें और पायें निरोग आंखें about योगा करें और पायें निरोग आंखें
घुटनों के लिए जानू नमन आसन
Submitted by hayatbar on 28 October 2018 - 6:55amढलती उम्र में व्यक्ति को जोड़ों से संबंधित रोग होने लगते हैं। अंग-अंग दुखता है। ज्यादा दूर चला नहीं जाता या बहुत ऊपर चढ़ा नहीं। व्यक्ति तभी तक जवान रहता है, जब तक उसके सभी अंग और जोड़ तनावरहित रहते हैं। जो लोग जानू नमन आसन करते रहते हैं उनको यह समस्या कभी नहीं सताती।
जानू घुटने को कहते हैं। क्रम से घुटनों को मोड़ने और सीधा करने को जानू नमन कहते हैं। जानू नमन आसन में अंग संचालन (सूक्ष्म व्यायाम) के अंतर्गत आता है। Read More : घुटनों के लिए जानू नमन आसन about घुटनों के लिए जानू नमन आसन
व्यस्त लोगों के लिये ध्यान: श्वास को विश्रांत करें
Submitted by hayatbar on 27 October 2018 - 7:55amजब भी आपको समय मिले, कुछ मिनटों के लिये अपनी श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर दें, और कुछ नहीं―पूरे शरीर को शिथिल करने की कोई आवश्यकता नहीं। रेलगाड़ी में बैठे हों या हवाई जहाज में, या फिर कार में, किसी को पता नहीं लगेगा की आप कुछ कर रहे हैं। बस अपनी श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर लें। जब यह सहज हो जाये तो इसे होने दें। तब आंखें बंद कर लें और इसे देखें- श्वास भीतर जा रही है, बाहर जा रही है, भीतर जा रही है...
पेट के रोग में राम-बाण है अग्निसार क्रिया
Submitted by hayatbar on 26 October 2018 - 5:55amहमारे शरीर को 13 प्रकार की अग्नियां चलाती हैं, जिनमें खाना पचाने में उपयोगी सात धातुओं की अग्नि, पांच भूतों की अग्नि व एक भूख लगाने वाली जठराग्नि होती है। अतः जो इन 13 प्रकार की अग्नियों को बल दे, उसे अग्निसार कहते हैं। यह क्रिया पेट के रोगों से जीवन भर बचाव के लिए बड़ी महत्वपूर्ण है। यह भी षट्कर्म का एक अभ्यास है। Read More : पेट के रोग में राम-बाण है अग्निसार क्रिया about पेट के रोग में राम-बाण है अग्निसार क्रिया
प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा
Submitted by hayatbar on 25 October 2018 - 6:56amमुद्राओं का जीवन में बहुत महत्व है। मुद्रा दो तरह की होती है पहली जिसे आसन के रूप में किया जाता है और दूसरी हस्त मुद्राएँ होती है। मुद्राओं से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ प्रस्तुत है प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा की विधि और लाभ।
प्राण मुद्रा : छोटी अँगुली (चींटी या कनिष्ठा) और अनामिका (सूर्य अँगुली) दोनों को अँगूठे से स्पर्श करो। इस स्थिति में बाकी छूट गई अँगुलियों को सीधा रखने से अंग्रेजी का 'वी' बनता है। Read More : प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा about प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा
अगर एनर्जी पानी है, तो कीजिए ये योग मुद्राएं
Submitted by hayatbar on 24 October 2018 - 5:56amयोगा आपके शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम करता है। ये एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर और आत्मा का मिलन होता है। योगा से तनाव तो कम होता ही है, साथ ही ये वजन कम करने से लेकर कई अन्य बीमारियों के इलाज में कारगर साबित होता है।
बालासन
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खांसी और जुकाम बस दस मिनट..........गायब
Submitted by hayatbar on 21 October 2018 - 5:57amमौसम के परिवर्तन के कारण संक्रमण से कई बार वाइरल इंफेक्शन के कारण हमारे गले व फेफड़ों में जमने वाली एक श्लेष्मा होती है जो खांसी या खांसने के साथ बाहर आता है। यह फायदेमंद और नुकसानदायक दोनों है। इसे ही कफ कहा जाता है। अगर आप भी खांसी या जुकाम से परेशान है तो बिना दवाई लिए भी रोज सिर्फ दस मिनट इस मुद्रा के अभ्यास से कफ छुटकारा पा सकते हैं।
मुद्रा- बाएं हाथ का अंगूठा सीधा खडा कर दाहिने हाथ से बाएं हाथ कि अंगुलियों में परस्पर फँसाते हुए दोनों पंजों को ऐसे जोडें कि दाहिना अंगूठा बाएं अंगूठे को बहार से कवर कर ले,इस प्रकार जो मुद्रा बनेगी उसे अंगुष्ठ मुद्रा कहेंगे। Read More : खांसी और जुकाम बस दस मिनट..........गायब about खांसी और जुकाम बस दस मिनट..........गायब