घुमक्कड़-शास्त्र – (लेखक – राहुल सांकृत्यायन)
Submitted by Anand on 7 March 2018 - 11:28pmघुमक्कड़ के स्वावलंबी होने के लिए उपसुक्त कुछ बातों को हम बतला चुके हैं। क्षौरकर्म, फोटोग्राफी या शारीरिक श्रम बहुत उपयोगी काम हैं, इसमें शक नहीं; लेकिन वह घुमक्कड़ की केवल शरीर-यात्रा में ही सहायक हो सकते हैं। उनके द्वारा वह ऊँचे तल पर नहीं उठ सकता, अथवा समाज के हर वर्ग के साथ समानता के साथ घुल-मिल नहीं सकता। सभी वर्ग के लोगों में घुल-मिल जाने तथा अपने कृतित्व को दिखाने का अवसर घुमक्कड़ को मिल सकता है, यदि उसने ललित कलाओं का अनुशीलन किया है। हाँ, यह अवश्य है कि ललित-कलाएँ केवल परिश्रम के बल पर नहीं सीखी जा सकतीं। उनके लिए स्वामाविक रुचि का होना भी आवश्यक है। ललित-कलाओं में नृत्य, वाद्य और Read More : घुमक्कड़-शास्त्र – (लेखक – राहुल सांकृत्यायन) about घुमक्कड़-शास्त्र – (लेखक – राहुल सांकृत्यायन)