चेरा नृत्य

लोक नृत्यों में चेरा मिज़ो जनों का बहुत पुराना पारम्‍परिक नृत्‍य है। भूमि पर आमने-सामने पुरुष बैठे होते हैं और बांसों की आड़ी और खड़ी कतारों में इन जोड़ों को लय पर खोलते और बंद करते हैं। लड़कियाँ पारम्‍परिक मिज़ो परिधान 'पुआनछेई', 'कवरछेई', 'वकीरिया' और 'थिहना' पहन कर नृत्‍य करती है तथा वे बाँस के बीच क़दम बाहर और अंदर रखती हैं। यह नृत्‍य लगभग सभी त्योहार के अवसरों पर किया जाता है। चेरा की यह अनोखी शैली उन सभी स्‍थानों पर अत्‍यंत मनमोहक प्रतीत होता है, जहाँ इसे किया जाता है। नृत्‍य के साथ गोंग और नाद-वाद्य बजाए जाते हैं। वर्तमान समय में आधुनिक संगीत भी इस नृत्‍य में उपयोग किया जाता है।
 

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जनजातीय और लोक संगीत

जनजातीय और लोक संगीत उस तरीके से नहीं सिखाया जाता है जिस तरीके से भारतीय शास्‍त्रीय संगीत सिखाया जाता है । प्रशिक्षण की कोई औपचारिक अवधि नहीं है। छात्र अपना पूरा जीवन संगीत सीखने में अर्पित करने में समर्थ होते हैं । ग्रामीण जीवन का अर्थशास्‍त्र इस प्रकार की बात के लिए अनुमति नहीं देता । संगीत अभ्‍यासकर्ताओं को शिकार करने, कृषि अथवा अपने चुने हुए किसी भी प्रकार का जीविका उपार्जन कार्य करने की इजाजत है। Read More : जनजातीय और लोक संगीत about जनजातीय और लोक संगीत