ध्यान: क्या आप स्वयं के प्रति सच्चे हैं?
Submitted by hayatbar on 9 August 2019 - 1:35pmतुम सत्य को झुठला नहीं सकते। बेहतर होगा कि तुम इसका सामना करो, बेहतर होगा कि तुम इसे स्वीकार करो, बेहतर होगा कि तुम इसे जीयो। एक बार तुम सच्चा, प्रामाणिक जीवन जीना शुरु करो-- अपना वास्तविक चेहरा-- तो धीरे-धीरे सभी दुख तिरोहित हो जाएंगे क्योंकि संघर्ष समाप्त हो जाता है और अब तुम विभाजित नहीं रहते। तुम्हारी वाणी लयबद्ध हो जाती है, तुम्हारा पूरा अस्तित्व वाद्य-वृंद बन जाता है। अभी तो जब तुम कुछ कहते हो तो तुम्हारा शरीर कुछ और कहता है; जब तुम्हारी जुबान कुछ और कहती है तो तुम्हारी आंखें साथ-साथ कुछ और कहती चली जाती हैं। Read More : ध्यान: क्या आप स्वयं के प्रति सच्चे हैं? about ध्यान: क्या आप स्वयं के प्रति सच्चे हैं?