मलेरिया के लक्षणऔर उपाय

प्लाज्मोडियम' नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है मलेरिया। यह मादा 'एनोफिलीज' मच्छर के काटने से होता है जो गंदे पानी में पनपते हैं। ये मच्छर आमतौर पर सूर्यास्त के बाद काटते हैं। मलेरिया के मच्छर रात में ही ज्यादा काटते हैं। कुछ केसेज में मलेरिया अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। ऐसे में बुखार ज्यादा ना होकर कमजोरी होने लगती है और एक स्टेज पर पेशंट को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिससे वह अनीमिक हो जाता है।
 

  • आमतौर पर देखने को मिलता है कि जुलाई से नवंबर के बीच मलेरिया ज्यादा फैलता है। मलेरिया में हर व्यक्ति के बॉडी के रिएक्ट करने का तरीका अलग-अलग होता है और यह काफी कुछ इंफेक्शन के डोज पर भी डिपेंड करता है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको मलेरिया के मच्छर के काटने का कोई फर्क ही नहीं पड़ता। जाहिर है कि जब आप पहले से थोड़े वीक हों, तो आप थोड़े से इंफेक्शन से भी ज्यादा प्रॉब्लम में आ सकते हैं। 

मलेरिया के लक्षण: मलेरिया में आमतौर पर एक दिन छोड़कर बुखार आता है और मरीज को बुखार के साथ कंपकंपी (ठंड) भी लगती है। इसके अलावा इस बीमारी के कई दूसरे लक्षण भी हैं- 
- अचानक ठंड के साथ तेज बुखार और फिर गर्मी के साथ तेज बुखार होना। 
- पसीने के साथ बुखार कम होना और कमजोरी महसूस होना। 
- एक, दो या तीन दिन बाद बुखार आते रहना। 

मच्छरों से बचाव के तरीके 
- किसी भी हाल में घर में मच्छर ना होने दें। मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाएं। 
- लहसुन का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें। इसकी गंध से मच्छर दूर भागते हैं। 
- लैवेंडर ऑइल को त्वचा पर लगाने से मच्छर दूर रहते हैं। 
- नीम का तेल भी मच्छर भगाने में बड़ा उपयोगी है। सोने से पहले थोड़ा सा नीम का तेल शरीर पर लगा लेने से मच्छर नहीं काटते। 
- घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें। गड्ढों को मिट्टी से भर दें। रुकी नालियों को साफ करें। 
- अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑइल डालें। 
- रूम कूलर, फूलदान का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। 
- मच्छरों को भगाने और मारने के लिए क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल आदि इस्तेमाल करें। 
- घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें। दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें। साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें। 
- पीने के पानी में क्लोरीन की गोली मिलाएं और पानी उबालकर पीएं। 
- शाम के समय पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर ही बाहर निकलें। 

मलेरिया से बचाव हो कैसे 
- ब्लड टेस्ट कराएं और डॉक्टर की राय से ही कोई दवा लें। 
- अगर दवा की पूरी डोज नहीं लेंगे तो मलेरिया दुबारा होने की आशंका रहती है। 
-इसका पक्का इलाज है, ऐसे में अगर बुखार कम नहीं हो तो डॉक्टर को दिखाएं। 

कॉमन गलतियां 
1. बुखार है तो लोग खुद या केमिस्ट से पूछकर कोई भी दवा ले लेते हैं। यह खतरनाक साबित होता है। बुखार में एस्प्रिन (Aspirin) बिल्कुल न लें। यह मार्केट में इकोस्प्रिन (Ecosprin), डिस्प्रिन (Dispirin) आदि ब्रैंड नेम से मिलती है। ब्रूफेन (Brufen), कॉम्बिफ्लेम (Combiflame) आदि पेनकिलर से भी परहेज करें क्योंकि अगर डेंगू है तो इन दवाओं से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है। किसी भी तरह के बुखार में सबसे सेफ पैरासेटामॉल (Paracetomal) जैसे कि क्रोसिन आदि लेना है। 

2. बुखार में लोग खुद ऐंटी-बायोटिक लेने लगते हैं, जबकि टायफायड के अलावा आमतौर पर दूसरे बुखार में ऐंटी-बायोटिक की जरूरत नहीं होती। ज्यादा ऐंटी-बायोटिक लेने से शरीर इसके प्रति इम्यून हो जाता है और जरूरत पड़ने पर ये असर नहीं करतीं। इनसे शरीर के गुड बैक्टीरिया भी मारे जाते हैं। 

3. कई बार परिजन मरीज से खुद को चादर से ढककर रखने को कहते हैं ताकि पसीना आकर बुखार उतर जाए। इससे शरीर का तापमान बढ़ता है। इसके बजाय मरीज को खुली और ताजा हवा लगने दें। एसी, कूलर और पंखे में रखें। 

4. कई बार मरीज को नहाने नहीं दिया जाता, जबकि मरीज नॉर्मल या हल्के गुनगुने पानी से नहा सकता है। नहाने की स्थिति में नहीं है तो भी टॉवल गीला कर स्पॉन्जिंग जरूर करें। 

5. डेंगू में अक्सर तीमारदार या डॉक्टर प्लेटलेट्स चढ़ाने की जल्दी करने लगते हैं। यह सही नहीं है। इससे उलटे रिकवरी में वक्त लग जाता है। जब तक प्लेटलेट्स 20 हजार या उससे कम न हों, प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती। 

6. अक्सर लोग बुखार में आराम नहीं करते और 3-4 दिन बाद ही ऑफिस जाना या दूसरे कामकाज करना शुरू कर देते हैं, जबकि बुखार में आराम बेहद जरूरी है। बुखार में कम-से-कम एक हफ्ते आराम जरूर करें। यह दवा का काम करता है। इसके बाद ऑफिस जा सकते हैं या दूसरे रुटीन काम कर सकते हैं। एक्सरसाइज आदि 15 दिन के बाद ही शुरू करें। वैसे, डेंगू में रिकवरी एक-दो हफ्ते में हो जाती है, लेकिन चिकनगुनिया में दर्द पूरी तरह जाने में हफ्तों लग जाते हैं। 

आर्टिमिजिनिन दवा का असर घटा 
विशेषज्ञों का कहना है कि मलेरिया के इलाज के लिए आमतौर पर आर्टिमिजिनिन नाम की दवा दी जाती है, लेकिन देखा गया है कि मलेरिया के पैरासाइट पर इसका ज्यादा असर नहीं हो रहा है। इसके कारण देश के उत्तर-पूर्व के इलाकों में इसका प्रयोग रोक दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पूरे देश में इसके असर की जांच जरूरी है, तभी मलेरिया का कामयाबी के साथ सफाया हो पाएगा। जहां भी इसका असर कम दिखे, वहां दूसरी दवाओं का प्रयोग किया जाना चाहिए। 

 

 

 

 

 

 

 

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