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गाजर की उन्नत क़िस्में

गाजर हमारे शरीर के लिए अनेक प्रकार से लाभकारी हैं। इसमें बीटा केरोटीन पाया जाता हैं जो ‘विटामिन ए’ में बदल जाता हैं। इसमें कैंसर दूर करने के गुण पाए जाते हैं। बीटा केरोटीन एंटीऑक्सीडेंट होता हैं और यह कोशिकओं को नष्ट होने से रोकता हैं, उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता हैं। यह शरीर की रोगो से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता हैं और टॉनिक की तरह कार्य करता हैं।
पूसा मेघाली
यह नारंगी गूदे, छोटी टॉप तथा कैरोटीन की अधिक मात्रा वाली संकर प्रजाति है। इसकी फ़सल बुवाई से 100-110 दिन में तैयार हो जाती है।
पैदावार 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेअर होती है.
पूसा यमदाग्नि
यह प्रजाति आई० ए० आर० आई० के क्षेत्रीय केन्द्र कटराइन द्धारा विकसित की गयी है। इसकी फसल 90-105 दिन मे तैयार हो जाती है।
इसकी पैदावार 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेअर होती है.
नैन्टस
इस क़िस्म की जडें बेलनाकार तथा नांरगी रंग की होती है। जड़ के अन्दर का केन्द्रीय भाग मुलायम, मीठा होता है। इसकी फसल 110-112 दिन में तैयार हो जाती है।
इसकी पैदावार 100-125 क्विंटल प्रति हेक्टेअर तक होती है।