भारत में गाय की 37 प्रकार की शुद्ध नस्ल पायी जाती है

भारत में गाय की 37 प्रकार की शुद्ध नस्ल पायी जाती है

भारत में गाय की 37 प्रकार की शुद्ध नस्ल पायी जाती है | जिसमें सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल निम्न हैं :-

1) गिर गाय (सालाना-2000-6000 लीटर दूध, स्थान - सौराष्ट्र , गुजरात)
2) साहिवाल गाय (सालाना-2000-4000 लीटर दूध, स्थान उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब)
3) लाल सिंधी (सालाना-2000-4000 लीटर दूध, स्थान उत्पत्ति सिंध में लेकिन अभी पूरे भारत में)
4) राठी (सालाना-1800-3500 लीटर दूध, स्थान-राजस्थान, हरियाणा, पंजाब)
5) थरपार्कर (सालाना-1800-3500 लीटर दूध, स्थान-सिंध, कच्छ, जैसलमेर, जोधपुर)
6) कांक्रेज (सालाना-1500-4000 लीटर दूध, स्थान-उत्तरी गुजरात व राजस्थान)

एक शोधपूर्ण सच्चाई :

ब्राजील देश ने हमारी देसी गायों का आयात कर अब तक 65 लाख गायों की संख्या कर ली है और इससे भी दोगुनी उन लोंगो ने दूसरे देशों में निर्यात की है |
google पर indian cow in brazil सर्च कर सकते है !

उन लोगों ने हृदय से इन गौवंश (सांडो सहित) की सेवा कर आज औसत में एक गाय से दिनभर में करीब 40 लीटर दूध पाने की शानदार स्थिति बना ली |

अब सुनिए दूसरी बात :

ब्राजील इस दूध से पाउडर बना कर ऑस्ट्रेलिया, डैनमार्क को निर्यात करता है | जबकि डैनमार्क जैसे देश मे आदमी से अधिक गाय है लेकिन वो अपनी गाय का दूध नहीं पीते ! वहाँ 'milk is white poison' वाली बात प्रचलित है |

और तो और ऑस्ट्रेलिया, डैनमार्क आदि देश अपनी जर्सी-होलस्टीन युवान (जिन्हें हम गाय कहते नहीं थकते) के दूध से पाउडर निकाल कर हमारे देश भारत को भेजता है | इस पाउडर को ऑस्ट्रेलिया में उपयोग में लाने पर कड़ा प्रतिबन्ध है | वे सिर्फ ब्राजील के दूध पाउडर को ही उपयोग में लाते हैं |

क्यों ? क्योंकि ऑस्ट्रेलिया, डैनमार्क आदि देशो की गायों का दूध से डायबिटीज़, कैंसर जैसी भयंकर बीमारी फैलती है | आज हमारा भारत डायबिटीज़ व कैंसर की बीमारी की विश्व राजधानी बनता जा रहा है | भारत की प्रत्येक डेयरी में हुए सम्पूर्ण दूध में से फेट (क्रीम-मक्खन) निकालकर उसमे इस आयातित दूषित ऑस्ट्रेलियन, डैनमार्क दूध पाउडर को मिलाकर प्रोसेस किया जाकर थैलियों के माध्यम से हमारी रसोई तक पहुंचाया जाता है |

ये कैसा दुष्चक्र है !!!! भारत की देसी गाय ब्राजील, वहाँ से दूध पाउडर ? ऑस्ट्रेलिया का दूषित दूध पाउडर भारत ? और फिर होता है दवाइयों का आयात |

मित्रों, थैली के दूध का प्रयोग तुरन्त बन्द करो | देसी गाय के दूध को किसी भी कीमत पर प्राप्त कर स्वास्थ्य को बचाओ | वैज्ञानिक भाषा मे देसी गाय के दूध तो A2 कहते है और विदेशी (जर्सी हालेस्टियन) गायों के दूध को A1 कहते है | दोनों के दूध मे क्या अंतर है सैंकड़ों रिसर्च विदेशो मे हो चुकी है |

मित्रों जब आप विदेशी गाय जैसे जर्सी, हाले स्टियन आदि पर ज्यादा रिसर्च करेंगे आपको पता चलेगा की इन्हे सूअर से artificial insemination कर के विकसित किया गया है |

मित्रों आप देसी गाय के दूध का महत्व समझे अन्य लोगो को समझाएँ, विदेशी गाय (पूतना भगवान कृष्ण को मरने आई थी) का दूध ना पीये |

हमारे मूर्ख नीति निर्धारकों ने दूध की मात्रा को गौमाता की उपयोगिता का मापदंड बना दिया | भारतीय संस्कृति का इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता था | मित्रों हमने अपनी कमियों को सुधारने की बजाय अपनी गौमाता पर ही कम दूध देने का लांछन लगा दिया | इतिहास गवाह है कि भारत वर्ष में जब तक गौ वास्तव में माता जैसा व्यवहार पाती थी | उसके रख-रखाव, आवास, आहार की उचित व्यवस्था थी, देश में कभी भी दूध का अभाव नहीं रहा |

मित्रों दूध को एक तरफ छोड़ भी दे तो भी गौ माता जीवन के पहले दिन से अंतिम दिन तक गोबर और गौ मूत्र देती है जिससे रसोई गैस का सिलंडर चलता है और गाड़ी भी चलती है 

Vote: 
Average: 3 (2 votes)