ओशो – ध्यान धन है ।
Submitted by Anand on 19 July 2019 - 1:02pmसंसार में लोग गंवाकर जाते हैं, कमाकर नहीं।
अक्सर लेकिन हम समझते हैं कि लोग कमा रहे हैं।
बाजारों में लोग कमाने में लगे हैं।
पूछो तो जरा गौर से! क्या कमाकर ले जाओगे?
क्या कमा रहे हो? गंवाकर जाओगे।
एक संपदा थी भीतर, जिसको लुटाकर जाआगे।
आत्मा बेच दोगे, ठीकरे खरीद लोगे।
जीवन का परम अवसर जो
परमात्मा का मिलन बन सकता था,
उसमें कुछ कागज के नोट इकट्ठे कर लोगे।
और नोट यहीं पड़े रह जाएंगे।
उन्हें तुम साथ न ले जा सकोगे।
उन्हें कोई कभी साथ नहीं ले जा सका है।
संसार की कोई भी वस्तु साथ नहीं जा सकती। Read More : ओशो – ध्यान धन है । about ओशो – ध्यान धन है ।