ध्यान से सिद्धि

ध्यान : संयम साधना

ध्यान  संयम साधना

कृष्ण ने दो निष्ठाओं की बात कही है।

एक वे, जो इंद्रियों का संयम कर लेते हैं। जो इंद्रियों को विषय की तरफ--विषयों की तरफ इंद्रियों की जो यात्रा है, उसे विदा कर देते हैं; यात्रा ही समाप्त कर देते हैं। जिनकी इंद्रियां विषयों की तरफ दौड़ती ही नहीं हैं। संयम का अर्थ समझेंगे, तो खयाल में आए। दूसरे वे, जो विषयों को भोगते रहते हैं, फिर भी लिप्त नहीं होते। ये दोनों भी यज्ञ में ही रत हैं। Read More : ध्यान : संयम साधना about ध्यान : संयम साधना

ध्यान आता है, एक फुसफुसाहट की तरह

ध्यान आता है, एक फुसफुसाहट की तरह

ध्यान आता है, एक फुसफुसाहट की तरह, वह नारे लगाते हुए नहीं आता । वह बहुत ही चुपचाप आता है.... यदि हम व्यस्त हैं,तो वह प्रतीक्षा करता है । और लौट जाता है । Read More : ध्यान आता है, एक फुसफुसाहट की तरह about ध्यान आता है, एक फुसफुसाहट की तरह