ध्यान साधना कैसे करे

साप्ताहिक ध्यान : ज्ञान और अज्ञान, दोनों के पार

दोनों के पार

जीवन के विधायक पहलू पर ध्यान करो और फिर ध्यान को नकारात्मक पहलू पर ले जाओ, फिर दोनों को छोड़ दो क्योंकि तुम दोनों ही नहीं हो।इसे इस तरह देखो: जन्म पर ध्यान दो। एक बच्चा पैदा हुआ, तुम पैदा हुए। फिर तुम बढ़ते हो, जवान होते हो--इस पूरे विकास पर ध्यान दो। फिर तुम बूढ़े हो जाते हो और मर जाते हो। बिलकुल आरंभ से, उस क्षण की कल्पना करो जब तुम्हारे पिता और माता ने तुम्हें धारण किया था और मां के गर्भ में तुमने प्रवेश किया था। बिलकुल पहला कोष्ठ। वहां से अंत तक देखो, जहां तुम्हारा शरीर चिता पर जल रहा है और तुम्हारे संबंधी तुम्हारे चारों ओर खड़े हुए हैं। फिर दोनों को छोड़ दो, वह जो पैदा हुआ और वह जो मरा Read More : साप्ताहिक ध्यान : ज्ञान और अज्ञान, दोनों के पार about साप्ताहिक ध्यान : ज्ञान और अज्ञान, दोनों के पार

ध्यान : संयम साधना

ध्यान  संयम साधना

कृष्ण ने दो निष्ठाओं की बात कही है।

एक वे, जो इंद्रियों का संयम कर लेते हैं। जो इंद्रियों को विषय की तरफ--विषयों की तरफ इंद्रियों की जो यात्रा है, उसे विदा कर देते हैं; यात्रा ही समाप्त कर देते हैं। जिनकी इंद्रियां विषयों की तरफ दौड़ती ही नहीं हैं। संयम का अर्थ समझेंगे, तो खयाल में आए। दूसरे वे, जो विषयों को भोगते रहते हैं, फिर भी लिप्त नहीं होते। ये दोनों भी यज्ञ में ही रत हैं। Read More : ध्यान : संयम साधना about ध्यान : संयम साधना

ध्यान : श्वास : सबसे गहरा मंत्र

सबसे गहरा मंत्र

श्वास भीतर जाती है, इसका आपके प्राणों में पूरा बोध हो कि श्वास भीतर जा रही है। श्वास बाहर जाती है, इसका भी आपके प्राणों में पूरा बोध हो कि श्वास बाहर जा रही है। और आप पाएंगे कि एक गहन शांति उतर आई है। यदि आप श्वास को भीतर जाते हुए और बाहर जाते हुए, भीतर जाते हुए और बाहर जाते हुए देख सकें, तो यह अभी तक खोजे गए मंत्रों में से सबसे गहरा मंत्र है।

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अग्नि पर फ़ोकस करना

अग्नि पर फ़ोकस करना

जीवन में मृत्यु के अतिरिक्त कुछ भी निश्चित नहीं है।

और दूसरी बात कि मृत्यु अंत में नहीं घटेगी, वह घट ही रही है। मृत्यु एक प्रक्रिया है। जैसे जीवन प्रक्रिया है, वैसे ही मृत्यु भी प्रक्रिया है। द्वैत हम निर्मित करते हैं; लेकिन जीवन और मृत्यु ठीक तुम्हारे दो पांवों की तरह हैं। जीवन और मृत्यु दोनों एक प्रक्रिया हैं। तुम प्रतिक्षण मर रहे हो।

मुझे यह बात इस तरह से कहने दो: जब तुम श्वास भीतर ले जाते हो तो वह जीवन है; और जब तुम श्वास बाहर निकालते हो तो वह मृत्यु है। Read More : अग्नि पर फ़ोकस करना about अग्नि पर फ़ोकस करना