राजमा की खेती कैसे करें

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राजमा की खेती रबी ऋतु में की जाती है। अभी इसके लिए उपयुक्त समय है। यह मैदानी क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है। राजमा की अच्छी पैदावार हेतु 10 से 27 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता पड़ती है। राजमा हल्की दोमट मिट्टी से लेकर भारी चिकनी मिट्टी तक में उगाया जा सकता है।

राजमा उन्नतशील प्रजातियां है

राजमा में प्रजातियां जैसे कि पीडीआर 14, इसे उदय भी कहते है। मालवीय 137, बीएल 63, अम्बर, आईआईपीआर 96-4, उत्कर्ष, आईआईपीआर 98-5, एचपीआर 35, बी, एल 63 एवं अरुण है।

खेत की तैयारी

खरीफ की फसल के बाद खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करनी चाहिए। खेत को समतल करते हुए पाटा लगाकर भुरभुरा बना लेना चाहिए इसके पश्चात ही बुआई करनी चाहिए।

- राजमा के बीज की मात्र 120 से 140 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगती है। बीजोपचार 2 से 2.5 ग्राम थीरम से प्रति किलोग्राम बीज की मात्र के हिसाब से बीज शोधन करना चाहिए।

- राजमा की बुआई बुआई लाइनों में करनी चाहिएढ्ढ लाइन से लाइन की दूरी 30 से 40 सेंट मीटर रखते है, पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखते है। इसकी बुआई 8 से 10 सेंटीमीटर की गहराई पर करते हैं।

खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग

राजमा के लिए 120 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर तत्व के रूप में देना आवश्यक है। नेत्रजन की आधी मात्रा, फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय तथा बची आधी नेत्रजन की आधी मात्रा खड़ी फसल में देनी चाहिए। इसके साथ ही 20 किलोग्राम गंधक की मात्रा देने से लाभकारी परिणाम मिलते है। 20 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव बुवाई के बाद 30 दिन तथा 50 दिन में करने पर उपज अच्छी मिलती है।

¨सचाई कब करनी चाहिए और कितनी मात्रा में करनी चाहिए

राजमा में 2 या 3 ¨सचाई की आवश्यकता पड़ती है। बुआई के 4 सप्ताह बाद प्रथम ¨सचाई हल्की करनी चाहिए। बाद में ¨सचाई एक माह बाद के अंतराल पर करनी चाहिए खेत में पानी कभी नहीं ठहरना चाहिए।

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