चेतना की परिभाषा

चेतना की वह अकेली अवस्था ध्यान है।

अवस्था ध्यान है।

वही आदमी प्रेम करता है, जो बस प्रेम करता है और किसका कोई सवाल नहीं है। क्योंकि जो आदमी ‘किसी से’ प्रेम करता है, वह शेष से क्या करेगा? वह शेष के प्रति घृणा से भरा होगा। जो आदमी ‘किसी का ध्यान’ करता है, वह शेष के प्रति क्या करेगा? Read More : चेतना की वह अकेली अवस्था ध्यान है। about चेतना की वह अकेली अवस्था ध्यान है।