बेटी की बिदाई- मां के लिए बड़ी चुनौती है इस प्रकार
Submitted by neetu on 3 August 2019 - 9:10amआधुनिक सुसंस्कृत परिवारों में बदलाव की पहल दोनों ओर से होती है लेकिन नई बहू को ही सबसे ज्यादा समझौता करना होता है। ऐसे में मायके के संस्कार व स्वयं को परिस्थितियों के अनुरूप ढालने की मानसिकता ही सब कुछ सहज-सरल बनाती है व प्यारी बिटिया धीरे-धीरे लाड़ली बहू बन जाती है।
स्त्री जीवन की यह सबसे बड़ी विडंबना है कि उसका जन्म किसी एक परिवार में होता है, जहां वह कोई 22-25 साल परवरिश पाती है और फिर 7 फेरों के साथ ही वह नितांत अजनबी परिवार में जीवन बिताने को अग्रसर होती है। ऐसे में उसे ही नए परिवार व परिवेश को अपनाना होता है, अपनी आदतों को उस परिवार के अनुसार बदलना होता है Read More : बेटी की बिदाई- मां के लिए बड़ी चुनौती है इस प्रकार about बेटी की बिदाई- मां के लिए बड़ी चुनौती है इस प्रकार