भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका

बाह्य प्राणायाम त्रिबन्ध के साथ

बाह्य प्राणायाम त्रिबन्ध के साथ

सबसे पहले मध्यपट को निचे झुकाये और फेकडो को फुलाने की कोशिश करे और ऐसा महसुस करे जैसे की आपकी गले की हड्डियाँ फूल रही हो. तेज़ी से साँस छोड़ते जाये और ऐसा करते समय अपने पेट पर भी थोडा जोर दे. शरीर के मध्यपट से साँस ऊपर फेकने की कोशिश करते रहे. अब धीरे-धीरे अपनी छाती को ठोड़ी लगाने की कोशिश करे और अपने पेट को हल्के हाथो से दबाकर साँस बाहर निकलने की कोशिश करते रहे. आपको ऐसा करने की जरुरत है, ऐसा आपको करना ही पड़ेगा. इस अवस्था में जितनी भी देर तक आप अपने आप को रख सकते है उतनी देर तक रहे. अब धीरे-धीरे अपने पेट और मध्यपट को छोड़े और उन्हें हल्का महसुस होने दे. Read More : बाह्य प्राणायाम त्रिबन्ध के साथ about बाह्य प्राणायाम त्रिबन्ध के साथ

भ्रस्त्रिका प्राणायाम

भ्रस्त्रिका प्राणायाम
  • श्वांस को लम्बा गहरा धीरे-धीरे नाक के द्वारा फेफड़ों में डायफ्राॅम तक भरेंगे पेट नहीं फुलायेंगे और श्वासं बिना अन्दर रोके, लिये गये श्वांस को नासिका द्वारा धीरे धीरे पूरा ही बाहर छोड़ देंगे तथा बाहर भी श्वांस को बिना रोके पूर्व की भांति श्वासं को भरेंगे। इस अभ्यास को जारी रखें।
  • नये साधक थकने पर बीच में कुछ देर के लिये विश्राम कर सकते हैं। तथा अपने उथले श्वासं की गहराई को बढ़ाने का प्रयास करें।
  • गर्मी में 3 मिनट व सर्दी में 7 मिनट तक किया जा सकता है।