सेतुबंधासन आसन से लाभान्वित

सेतुबंधासन

भूमि पर सीधे लेट जाइए। दोनों घुटनों को मोड़कर रखिए। कटिप्रदेश को ऊपर उठा कर दोनों हाथो को कोहनी के बल खड़े करके कमर के नीचे लगाइये। अब कटि को ऊपर स्थिति रखते हुए पैरों को सीधा किजिए। कंधे व सिर भूमि पर टिके रहें। इस स्थिति में 6-8 सेंकण्ड रहें। वापस आते समय नितम्ब एवं पैरों को धीरे-धीरे जमीन पर टेकिए। हाथो को एकदम कमर से नहीं हटाना चाहिये। शवासन में कुछ देर विश्राम करके पुनः अभ्यास को 4-6 बार दोहराएं।

सीधे लेटकर दोनों घुटनों को मोड़कर पैरों को नितम्ब के पास रखियें। हथेलियां जमीन से सटी हुई। श्वांस भरकर कमर एवं नितम्बों को उठाइये। कन्धे सिर एडि़यां भूमि पर टिकी रहे। इस स्थिती में 10 सैकण्ड रूकिये वापस श्वांस छोड़ते हुये धीरे धीरे कमर को भूमि पर टिकाईये । इस प्रकार 3-4 बार करें।
पेट दर्द, कमरदर्द, स्त्रीरोग, पुरूष के धातु रोग, नाभि को केन्द्रित रखने में लाभप्रद।

 

स्लिप डिस्क, कमर एवं ग्रीवा-पीड़ा व उदर रोगों में विशेष लाभप्रद है। जो चक्रासन नहीं कर सकते, वे इस आसन से लाभान्वित हो सकते हैं।

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