पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन | पवन मुक्त आसन उदर के लिए बहुत ही लाभप्रद है। इस योग से गैसटिक, पेट की खराबी में लाभ मिलता है। पेट की बढ़ी हुई चर्बी के लिए भी यह बहुत ही लाभप्रद है। कमर दर्द, साइटिका, हृदय रोग, गठिया में भी यह आसन लाभकारी होता है। स्त्रियों के लिए गर्भाशय सम्बन्धी रोग में पावन मुक्त आसन काफी फायदेमंद होता है। इस आसन से मेरूदंड और कमर के नीचे के हिस्से में मौजूद तनाव दूर होता है। विधि। यहां पर पवनमुक्तासन को सरल तरीक़े से कैसे किया जाए उसके बारे में बताया गया है। यही नहीं आप बताये गए विधि का अनुसरण करते हुए इस आसन का ज़्यदा से ज़्यदा फायदा उठा सकते हैं। सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को फैलाएं और इनके बीच की दुरी को कम करें। अब दोनों पांव उठाएं घुटने मोड़ें। घुटनों को बांहों से घेर लें। सांस छोड़े, घुटनों को दबाते हुए छाती की ओर लाएं। सिर उठाएं तथा घुटनों को छाती के निकट लाएं जिससे ठोड़ी घुटनों को स्पर्श करने लगे। जहाँ’ तक सम्भव हो सके इस मुद्रा को मेन्टेन करें। फिर सांस लेते हुए पैरों को जमीन पर लेकर आएं। यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

सुप्त पवनमुक्तासन कैसे करें 

    • सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं।
    • दोनों पैरों को फैलाएं और इनके बीच की दुरी को कम करें।
    • अब दायां पांव उठाएं और घुटने से मोड़ें।
    • दोनों बांहें आपस बांधकर घुटने पकड़ लें।
    • सांस छोड़ें और रोक लें।
    • धीरे-धीरे घुटने दबाएं और उन्हें छाती तक लाएं।
    • सांस छोड़ते हुए सिर उठाएं और घुटनों को छाती के करीब लाएं ताकि नाक घुटनों से छूने लगे।
    • जब तक संभव हो, इस मुद्रा को मेन्टेन करें।
    • सांस छोड़ते हुए सिर तथा पांवों को वापस जमीन पर ले आएं।
    • यही क्रिया बाएं पांव के साथ भी दोहराएं।
    • यह एक चक्र हुआ।
    • इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।
    • यह एकपाद पवनमुक्तासन या सुप्त पवनमुक्तासन कहलाएगी।

पवनमुक्तासन के लाभ

वैसे तो पवनमुक्तासन के बहुत सारे लाभ है। यहां पर इसके कुछ महत्वपूर्ण फायदे के बारे में जिक्र किया जा रहा है

  1. पेट की चर्बी गलाने में: यह पेट की चर्बी को कम करने में अहम भूमिका निभाता है। यह पेट की चर्बी को कम करते हुए आपके उदर को फ्लैट या समतल बनाता है।
  2. पेट से जहरीली गैसें निकालने में: यह आसन करने से पेट से जहरीली गैसें निकल जाती हैं।
  3. पेट स्वस्थ में: यह पेट के लिए अति उत्तम योगाभ्यास है। इसके नियमित अभ्यास से आप पेट के बहुत सारी परेशानियों से बच सकते हैं।
  4. कब्ज : यह आसन कब्ज और पेट के भारीपन से छुटकारा दिलाता है।
  5. रीढ़ की हड्डी के लिए: यह रीढ़ को मजबूत एवं लचीला बनाता है।
  6. फेफड़ों के लिए : इसके अभ्यास से आप अपने फेफड़ों को स्वस्थ एवं सुचारू रूप से चला सकते हैं।
  7. ह्रदय: इसके नियमित अभ्यास से हृदय अच्छा रहता है।
  8. पाचन: इसके नियमित अभ्यास से आपकी पाचन तंत्र बेहतर हो जाता है।
  9. एसिडिटी: यह एसिडिटी को कम करने में लाभकारी है।
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ऐसे करें उत्तानपादासन

ऐसे करें उत्तानपादासन

 पीठ के बल लेट जायें। हथेलियां भूमि की और, पैर सीधे, पंजे मिले हुये हों । अब श्वांस भरकर एक पैर को 1 फुट तक धीरे धीरे ऊपर उठायें। 10 सैकण्ड रोके फिर धीरे धीरे पैरों को नीचे भूमि पर टिकायें। फिर क्रमशः दूसरे पैर से करें। 3 से 6 बार ।

अब यही क्रिया दोनों पैरों को एक साथ उठाकर क्रमशः करें। 3 से 6 बार ।

कमरदर्द वाले एक एक पैर से ही क्रमशः इस अभ्यास को करें।

कब्ज, गैस, मोटापा, पेटदर्द, नाभि का टलना, कमरदर्द, हृदयरोग में लाभप्रद। Read More : ऐसे करें उत्तानपादासन about ऐसे करें उत्तानपादासन

सेतुबंधासन आसन से लाभान्वित

सेतुबंधासन

भूमि पर सीधे लेट जाइए। दोनों घुटनों को मोड़कर रखिए। कटिप्रदेश को ऊपर उठा कर दोनों हाथो को कोहनी के बल खड़े करके कमर के नीचे लगाइये। अब कटि को ऊपर स्थिति रखते हुए पैरों को सीधा किजिए। कंधे व सिर भूमि पर टिके रहें। इस स्थिति में 6-8 सेंकण्ड रहें। वापस आते समय नितम्ब एवं पैरों को धीरे-धीरे जमीन पर टेकिए। हाथो को एकदम कमर से नहीं हटाना चाहिये। शवासन में कुछ देर विश्राम करके पुनः अभ्यास को 4-6 बार दोहराएं। Read More : सेतुबंधासन आसन से लाभान्वित about सेतुबंधासन आसन से लाभान्वित

उत्तान पादासन से तुरंत पेट अंदर

उत्तान पादासन से तुरंत पेट अंदर

आधुनिकता की अंधी दौड़ में खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार और जीवन पद्धति के विकृत हो जाने से आज सारा समाज अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हैं। खासकर वह अपच, कब्ज, मोटापा, तोंद और अन्यपेट संबंधी बीमारियों से परेशान हो गया है। सभी के निदान के लिए लिए योग ही एकमात्र उपाय है। यहां प्रस्तुत है पेट को अंदर करने के लिए अचूक आसन उत्तान पादासन।

सावधानी : जब कमर में दर्द तथा मांसपेशियों में ऐंठन की शिकायत हो, उस समय इस आसन का अभ्यास नहीं करें। गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अभ्यास न करें। Read More : उत्तान पादासन से तुरंत पेट अंदर about उत्तान पादासन से तुरंत पेट अंदर

योगासन एवं आसन के मुख्य प्रकार

योगासन एवं आसनयोगासन एवं आसन पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, मत्स्यासन, वक्रासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, पश्चिमोत्तनासन, ब्राह्म मुद्रा, उष्ट्रासन, योगमुद्रा, उत्थीत पद्म आसन, पाद प्रसारन आसन, द्विहस्त उत्थीत आसन, बकासन, कुर्म आसन, पाद ग्रीवा पश्चिमोत्तनासन, बध्दपद्मासन, सिंहासन, ध्रुवासन, जानुशिरासन, आकर्णधनुष्टंकारासन, बालासन, गोरक्षासन, पशुविश्रामासन, ब्रह्मचर्यासन, उल्लुक आसन, कुक्कुटासन, उत्तान कुक्कुटासन, चातक आसन, पर्वतासन, काक आसन, वातायनासन, पृष्ठ व्यायाम आसन-1, भैरवआसन,

चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन अनेक प्रकार के माने गए हैं। योग में यम और नियम के बाद आसन का तीसरा स्थान है

आसन का उद्‍येश्य : आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।

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