काक आसन

काकआसन:- काक कौए को कहते हैं। कौए की चोंच जैसी मुंह की मुद्रा बना लेने को काकी मुद्रा कहा जाता है।
मुद्रा बनाने की विधि : किसी भी आसन में बैठकर होठों को पतली सी नली के समान मोड़कर कौए की चोंच जैसा बना लें। अब नाक के अग्र भाग को देखते हुए अपना पूरा ध्यान नाक पर टिका दें। इसके बाद मुंह से धीरे-धीरे गहरी श्वास लेकर होठों को बंद कर दें। कुछ देर बाद श्वास को नाक से बाहर निकाल दें। इस तरह से 10 मिनट तक करें।

इस मुद्रा का लाभ : यह मुद्रा जहां शरीर में ठंडक बढ़ाती हैं वहीं यह कई रोगों को दूर करने में लाभदायक है। इस मुद्रा का निरंतर अभ्यास करने से शरीर में अंदर भोजन पचाने की क्रिया तेज हो जाती है। इससे अम्लपित्त का बढ़ना कम हो जाता है।

योगासन एवं आसन के मुख्य प्रकार

योगासन एवं आसनयोगासन एवं आसन पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, मत्स्यासन, वक्रासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, पश्चिमोत्तनासन, ब्राह्म मुद्रा, उष्ट्रासन, योगमुद्रा, उत्थीत पद्म आसन, पाद प्रसारन आसन, द्विहस्त उत्थीत आसन, बकासन, कुर्म आसन, पाद ग्रीवा पश्चिमोत्तनासन, बध्दपद्मासन, सिंहासन, ध्रुवासन, जानुशिरासन, आकर्णधनुष्टंकारासन, बालासन, गोरक्षासन, पशुविश्रामासन, ब्रह्मचर्यासन, उल्लुक आसन, कुक्कुटासन, उत्तान कुक्कुटासन, चातक आसन, पर्वतासन, काक आसन, वातायनासन, पृष्ठ व्यायाम आसन-1, भैरवआसन,

चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन अनेक प्रकार के माने गए हैं। योग में यम और नियम के बाद आसन का तीसरा स्थान है

आसन का उद्‍येश्य : आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।

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