धनुरासन

धनुरासन योग की विधि शुरुवाती दौड़ में लोग धनुरासन करने से घबराते हैं लेकिन अगर आप इनके सरल तरीकों को जान जाए तो आसानी से इसका अभ्यास कर सकते हैं। सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाए। सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़े और अपने हाथ से टखनों को पकड़े। सांस लेते हुए आप अपने सिर, चेस्ट एवं जांघ को ऊपर की ओर उठाएं। अपने शरीर के लचीलापन के हिसाब से आप अपने शरीर को और ऊपर उठा सकते हैं। शरीर के भार को पेट निचले हिस्से पर लेने की कोशिश करें। जब आप पूरी तरह से अपने शरीर को उठा लें तो पैरों के बीच की जगह को कम करने की कोशिश करें। धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े। अपने हिसाब से आसन को धारण करें। जब आप मूल स्थिति में आना हो तो लम्बी गहरी सांस छोड़ते हुए नीचे आएं। यह एक चक्र पूरा हुआ। इस तरह से आप 3-5 चक्र करने की कोशिश करें।

धनुरासन योग के लाभ

अगर आप सही तरीके से धनुरासन करते हैं तो इसका मतलब यह हुआ की आप भुजंगासन एवं शलभासन दोनो एक साथ कर रहे हैं और दोनों का लाभ उठा रहे हैं। यहां पर धनुरासन के कुछ महत्वपूर्ण फायदे के बारे बताया जा रहा है।

  1. धनुरासन मोटापा घटाने के लिए: यह आसन वज़न कम करने के लिए एक उत्तम योगाभ्यास है। इसके नियमित अभ्यास से पेट की चर्बी कम होती है और आपके पेट को चुस्त-दुरुस्त बनाता है।
  2. धनुरासन डायबिटीज के लिए : यह आसन मधुमेह के रोगियों के लिए अति लाभदायक है। इसके अभ्यास से पैंक्रियास उत्तेजित होता है और इन्सुलिन के स्राव में मदद मिलती है जो शुगर के संतुलन सहायक है। इसके अभ्यास से डायबिटीज टाइप1 और डायबिटीज टाइप 2 दोनों में फायदा पहुँचता है।
  3. धनुरासन कमर दर्द के लिए: यह आसन पीठ दर्द के लिए रामबाण योग है । अगर इसका आप रोजाना अभ्यास करते हैं तो हमेशा हमेशा के लिए कमर दर्द की परेशानी से निजात  मिल सकती है। यह पीठ के लिगामेंट्स, मांसपेशियों एवं तंत्रिकाओं में खिंचाव ले कर आता है और पुरे स्पाइनल कॉलम में एक नई जान फूंकता है।
  4. धनुरासन अस्थमा के लिए: यह आसन अस्थमा रोगियों के लिए बहुत लाभदायी है। इसके अभ्यास से सीने में अच्छा खासा खिंचाव आता है और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है जो अस्थमा रोगियों के लिए बहुत जरूरी है ।
  5. धनुरासन योग स्लीप डिस्क के लिए: इस आसन के अभ्यास से स्लिप डिस्क में बहुत हद तक राहत मिल सकती है।
  6. धनुरासन कब्ज के लिए: इसके अभ्यास से कब्ज एवं अपच को दूर किया जा सकता है। यह आसान सही तरीके से एंजाइम के स्राव में मदद करता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
  7. धनुरासन विस्थापित नाभि के लिए: यह योगाभ्यास विस्थापित नाभि अपनी जगह पर लाने के लिए लाभदायक है।
  8. धनुरासन थाइरोइड के लिए: यह योगासन थाइरोइड एवं अधिवृक्क ग्रंथियों को उत्तेजित करता है तथा इसके हॉर्मोन के स्राव में मदद करता है।
  9.  

शलभासन विधि और लाभ

शलभासन क्या है। 

शलभ का अर्थ टिड्डी (Locust ) होता है। इस आसन की अंतिम मुद्रा में शरीर टिड्डी (Locust ) जैसा लगता है, इसलिए इसे इस नाम से जाना जाता है। इसे Locust Pose Yoga भी कहते हैं। यह कमर एवं पीठ दर्द के लिए बहुत लाभकारी आसन है। इसके नियमित अभ्यास से आप कमर दर्द पर बहुत हद तक काबू पा सकते हैं।

शलभासन की विधि।

शलभासन को कैसे किया जाए ताकि इसका ज़्यदा से ज़्यदा फायदे मिल सके, इसको यहां पर बहुत सरल तरीके में बताया गया है।

तरीका

सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाएं। Read More : शलभासन विधि और लाभ about शलभासन विधि और लाभ

गोमुखास योग विधि, लाभ और सावधानी इस प्रकार

शलभासन

शलभासन

शलभासन योग करते समय शरीर का आकार शलभ (Locust) कीट की तरह होने से, इसे शलभासन(Locust Pose) कहा जाता हैं। कमर और पीठ के मजबूत करता है और पाचन क्रिया को सुधारता है। शलभासन करने की प्रक्रिया और लाभ नीचे दिए गए हैं :

शलभासन करने की प्रक्रिया 

योगासन एवं आसन के मुख्य प्रकार

योगासन एवं आसनयोगासन एवं आसन पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, मत्स्यासन, वक्रासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, पश्चिमोत्तनासन, ब्राह्म मुद्रा, उष्ट्रासन, योगमुद्रा, उत्थीत पद्म आसन, पाद प्रसारन आसन, द्विहस्त उत्थीत आसन, बकासन, कुर्म आसन, पाद ग्रीवा पश्चिमोत्तनासन, बध्दपद्मासन, सिंहासन, ध्रुवासन, जानुशिरासन, आकर्णधनुष्टंकारासन, बालासन, गोरक्षासन, पशुविश्रामासन, ब्रह्मचर्यासन, उल्लुक आसन, कुक्कुटासन, उत्तान कुक्कुटासन, चातक आसन, पर्वतासन, काक आसन, वातायनासन, पृष्ठ व्यायाम आसन-1, भैरवआसन,

चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन अनेक प्रकार के माने गए हैं। योग में यम और नियम के बाद आसन का तीसरा स्थान है

आसन का उद्‍येश्य : आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।

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