गोमुखासन का वर्णन

गोमुखासन योग विधि गोमुखासन योग को करने का तरीका बहुत सरल है। नीचे दिए गए विधि को समझ कर आप इस आसन को बहुत सरलता का साथ अभ्यास कर सकते हैं। तरीका सबसे पहले आप दोनों पैरों को आगे की ओर फैला कर बैठ जाएं और हाथ को बगल में रखें। बाएं पांव को घुटने से मोड़ें तथा दाएं नितंब  की बगल से जमीन पर रख लें। उसी तरह से दाएं पांव को घुटने से मोड़ें, बाएं पांव के ऊपर से लाएं तथा दाईं एड़ी को बाएं नितंब  के पास रखें। अब आप बाईं हाथ को उठाएं और इसको कोहनी  से मोड़ें और पीछे की ओर कंधों से नीचे ले जाएं। दार्इं बांह उठाएं, कोहनी से मोड़ें और ऊपर की ओर ले जाकर पीछे पीठ पर ले जाएं। दोनों हाथों की अंगुलियों को पीठ के पीछे इस तरह से रखें कि एक दूसरे को आपस में गूंथ लें। अब सिर को कोहनी पर टिकाकर यथासंभव पीछे की ओर धकेलने का प्रयास करें। जहाँ तक हो सके आगे देखने की कोशिश करें और अपने हिसाब से आसन को धारण करें। यह आधा चक्र हुआ। पांवों और हाथों की स्थिति बदलते हुए इसे दोहराएं। अब एक चक्र पूरा हुआ इस तरह से आप तीन से पांच बार करें।

गोमुखास योग विधि, लाभ और सावधानी इस प्रकार

अंडकोष वृधि के लिए विशेष लाभदायक::गोमुखासन

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गोमुखासन आसन में व्यक्ति की आकृति गाय के मुख के समान बन जाती है इसीलिए इसे गोमुखासन कहते हैं। यह आसन आध्‍यात्मिक रूप से अधिक महत्‍व रखता है तथा इस आसन का प्रयोग स्‍वाध्‍याय एवं भजन, स्‍मरण आदि में किया जाता है। यह आसन पीठ दर्द, वात रोग, कंधे के कडे़ंपन, अपच तथा आंतों की बीमारियों को दूर करता है।

यह अंडकोष से संबन्धित रोगों को दूर करता है। यह आसन उन महिलाओं को अवश्‍य करना चाहिये, जिनके स्‍तन किसी कारण से छोटे तथा अविकसित रह गए हों। यह आसन स्‍त्रियों की सौंदर्यता को बढ़ाता है और यह प्रदर रोग में भी लाभकारी है।

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