गोमुखासन योग

संस्कृत में ‘गोमुख’ का अर्थ होता है ‘गाय का चेहरा’ या गाय का मुख़ । इस आसन में पांव की स्थिति बहुत हद तक गोमुख की आकृति जैसे होती है। इसीलिए इसे गोमुखासन कहा जाता है। यह महिलाओं के लिए अत्यंत लाभदायक आसन है। यह गठिया,साइटिका,अपचन,कब्ज,धातु रोग, मधुमेह, कमर में दर्द होने पर यह आसन बहुत अधिक लाभप्रद हैं| दंडासन में बैठ कर बाएं पैर को मोड़ कर एड़ी को दाएं नितंब के पास रखे या एड़ी पर बैठ भी सकते हैं। दाएं पैर को मोड़ कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें कि दोनों घुटने एक-दूसरे से स्पर्श करते हों। दाएं हाथ को ऊपर उठा कर पीठ की ओर मोड़ें और बाएं हाथ को पीठ के पीछे से लेकर दाएं हाथ को पकड़ें। गर्दन और कमर सीधी रखें। एक ओर से करने के बाद दूसरी ओर से भी इसी तरह करें।

अंडकोष वृधि के लिए विशेष लाभदायक::गोमुखासन

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गोमुखासन आसन में व्यक्ति की आकृति गाय के मुख के समान बन जाती है इसीलिए इसे गोमुखासन कहते हैं। यह आसन आध्‍यात्मिक रूप से अधिक महत्‍व रखता है तथा इस आसन का प्रयोग स्‍वाध्‍याय एवं भजन, स्‍मरण आदि में किया जाता है। यह आसन पीठ दर्द, वात रोग, कंधे के कडे़ंपन, अपच तथा आंतों की बीमारियों को दूर करता है।

यह अंडकोष से संबन्धित रोगों को दूर करता है। यह आसन उन महिलाओं को अवश्‍य करना चाहिये, जिनके स्‍तन किसी कारण से छोटे तथा अविकसित रह गए हों। यह आसन स्‍त्रियों की सौंदर्यता को बढ़ाता है और यह प्रदर रोग में भी लाभकारी है।

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