उष्ट्रासन

विधि : उष्ट्रासन करना बहुत आसान है। यहां पर बहुत सरल तरीके से इसके विधि को बताया जा रहा है। सबसे पहले आप फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं या आप वज्रासन में बैठे। ध्यान रहे जांघों तथा पैरों को एक साथ रखें, पंजे पीछे की ओर हों तथा फर्श पर जमे हों। घुटनों तथा पैरों के बीच करीब एक फुट की दूरी रखें। अब आप अपने घुटनों पर खड़े हो जाएं। सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें और अब दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर तथा बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखें। ध्‍यान रहे कि पीछे झुकते समय गर्दन को झटका न लगे। अंतिम मुद्रा में जांघें फर्श से समकोण बनाती हुई होंगी और सिर पीछे की ओर झुका होगा। शरीर का वजन बांहों तथा पांवों पर समान रूप से होना चाहिए। धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े। जहाँ तक हो सके अपने हिसाब से मुद्रा को मेन्टेन करें। और फिर लंबी गहरी सांस छोड़ते अपनी आरंभिक अवस्था में आएं। यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप इसको पांच से सात बार कर सकते हैं। उष्ट्रासन योग के लाभ उष्ट्रासन योग के बहुत सारे लाभ है। यहां पर इसके कुछ महत्वपूर्ण फायदे के बारे में बताया गया है। आप इस ज़्यदा से ज़्यदा फायदा उठा सकते हैं अगर इसको ऊपर बताए गए विधि के हिसाब से जाए।

शशांकासन

शशांक का अर्थ होता है खरगोश। आसन में व्यक्ति का आकार खरगोश के समान होता है, इसलिए इसे शशांकासन कहते हैं।
 

विधि-  सर्वप्रथम वज्रासन में आइए अर्थात दोनो पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर नितम्ब  के नीचे रखें और एड़ियों पर बैठ जाएं। हाथों को पीठ के पीछे ले जाइए अब दायें हाथ से बायें हाथ को थामिये।
अब कमर से आगे को झुकेंगे और सर को घुटनो के सामने फर्श पर लगायेंगे फिर धीरे से बापिस आएँगे ।
साँस निकालते हुए नीचे जाएँगे और साँस लेते हुए वापिस आएँगे 10-20 सेकेंड रोक सकते हैं ।
आसन को रोकते समय साँस को भी रोकते हैं।इस क्रिया को 4 से 5 बार करें। Read More : शशांकासन about शशांकासन

योगासन एवं आसन के मुख्य प्रकार

योगासन एवं आसनयोगासन एवं आसन पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, मत्स्यासन, वक्रासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, पश्चिमोत्तनासन, ब्राह्म मुद्रा, उष्ट्रासन, योगमुद्रा, उत्थीत पद्म आसन, पाद प्रसारन आसन, द्विहस्त उत्थीत आसन, बकासन, कुर्म आसन, पाद ग्रीवा पश्चिमोत्तनासन, बध्दपद्मासन, सिंहासन, ध्रुवासन, जानुशिरासन, आकर्णधनुष्टंकारासन, बालासन, गोरक्षासन, पशुविश्रामासन, ब्रह्मचर्यासन, उल्लुक आसन, कुक्कुटासन, उत्तान कुक्कुटासन, चातक आसन, पर्वतासन, काक आसन, वातायनासन, पृष्ठ व्यायाम आसन-1, भैरवआसन,

चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन अनेक प्रकार के माने गए हैं। योग में यम और नियम के बाद आसन का तीसरा स्थान है

आसन का उद्‍येश्य : आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।

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