ओशो नियो-विपस्याना ध्यान
Submitted by hayatbar on 31 July 2019 - 12:46pmविपस्सना का अर्थ है: अपनी श्वास का निरीक्षण करना, श्वास को देखना। यह योग या प्राणायाम नहीं है। श्वास को लयबद्ध नहीं बनाना है; उसे धीमी या तेज नहीं करना है। विपस्सना तुम्हारी श्वास को जरा भी नहीं बदलती। इसका श्वास के साथ कोई संबंध नहीं है। श्वास को एक उपाय की भांति उपयोग करना है ताकि तुम द्रष्टा हो सको। क्योंकि श्वास तुम्हारे भीतर सतत घटने वाली घटना है।
अगर तुम अपनी श्वास को देख सको तो विचारों को भी देख सकते हो।
यह भी बुद्ध का बड़े से बड़ा योगदान है। उन्होंने श्वास और विचार का संबंध खोज लिया।
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