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अर्थराइटिस के दर्द से छुट्टी:- अपनाए ये नुस्खे

अर्थराइटिस यानी गठिया एक दर्द भरी बीमारी है दर्द, अकड़न और जोड़ों में सूजन जैसी बीमारियां अर्थराइटिस के ही लक्षण हैं।
जो ना केवल बजुर्गो को ही बल्कि युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। अर्थराइटिस की बीमारी अगर भयंकर नहीं है तो इससे पैदा होने वाले दर्द को प्राकृतिक चीजों से भी ठीक किया जा सकता है। अगर आपको अर्थराइटिस है तो आपके लिये यह जानना बेहद जरुरी है कि इससे बचने के लिये आपको अपना वजन कम करना होगा नहीं तो यह सीधे जोड़ों पर असर डालती है।
नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से जोड़ों के दर्द और अकड़न से राहत मिलती है। साथ ही इससे मांसपेशियां मजबूत और लचीली भी होती हैं। इसके अलावा वजन कम करने में भी ये मददगार साबित होती है
अर्थराइटिस के दौरान कौन कौन से आहार खाने से बचना चाहिये? अगर आपको अर्थराइटिस है तो टमाटर, बैंगन, आलू और मिर्च आदि का सेवन ना करें नहीं तो दर्द बढ़ सकता है। वेजिटेबल ऑयल जिसमें ओमेगा 6 फैटी एसिड होता है वह अर्थराइटिस के लक्षणों को बढ़ा सकता है। र्युमॅटाय्ड आर्त्राइटिस को विटामिन सी की कमी से भी जोड़ा जा सकता है। दिनभर में छोटी मात्रा में विटामिन सी की 500 मिलीग्राम की कुल खुराक आवश्यक है, जो कि गठिया के दर्द में लाभदायक होगी।
जूस, जिसमें बीटा-कैरोटीन और कॉपर आदि होते हैं वो एंटी इंफ्लेमेटरी तत्वों से भरे होते हैं। आपको अगर अर्थराइटिस है तो पाइनएप्पल का जूस नियमित रूप से पीना ना भूलें। इसके अलावा इपसोम सॉल्ट, से नहाना ना भूलें क्योंकि इसमें मैग्नीशियम सल्फेट होता है, जिससे शरीर के दर्द में काफी आराम मिलता है। शरीर को आहार दृारा मैग्नीशियम उच्च मात्रा में नहीं प्राप्त हो पाता इसलिये अगर आप इपसोम सॉल्ट को गरम पानी में मिला कर नहाएंगी, तो आपकी त्वचा दृारा उस नमक जो भी मैग्नीशियम होगा, वह सोख लिया जाएगा। इससे जो गर्माहट मिलेगी वह शरीर में रक्त संचार बढ़ा कर सूजन को कम करेगी तथा मसापेशियों को आराम पहुंचाएगी। इसके अलावा आपको स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी करनी चाहिये, जो कि आपके शरीर के लिये अच्छा होता है।
अर्थराइटिस किशोरों और बच्चों मे
लगभग 6 महीने से 18 वर्ष तक के हर 250 बच्चों या किशोरों में से एक बच्चा या किशोर किसी न किसी प्रकार की गठिया (अर्थराइटिस)से पीड़ित है। बच्चों को प्रभावित करने वाली गठिया लगभग 16 प्रकार की होती है, परन्तु इनमें से मुख्य रूप से जुवेनाइल र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस, र्यूमैटिक अर्थराइटिस,इंट्रो-अर्थराइटिस, एक्यूट ट्रांजिएंट अर्थराइटिस, सेप्टिक अर्थराइटिस, ट्यूबरकुलर अर्थराइटिस आदि मुख्य रूप से बच्चों और किशोरों को प्रभावित करते हैं। इलाज द्वारा इन रोगों पर इस हद तक काबू पाना कि वह बच्चे की पढ़ाई या रोजमर्रा की जिंदगी में बाधा न बने अपने आप में एक चुनौती है।
जुवेनाइल र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस
जुवेनाइल र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस गठिया से प्रभावित लगभग 10 प्रतिशत बच्चों में पाया जाता है। हर 1000 बच्चों में से एक बच्चा इससे प्रभावित होता है। भारत में लगभग 15 लाख बच्चे इससे पीड़ित हैं। आम तौर पर यह अर्थराइटिस 16 वर्ष की आयु से पहले कभी भी हो सकता है। यह रोग शरीर के रोग-प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) में विकार आने से उत्पन्न होता है। लगभग 60 प्रतिशत प्रभावित बच्चों में इसका सीधा संबंध माइकोप्लाज्मा नामक जीवाणु से माना जाता है।
लक्षण
*एक या एक से अधिक जोड़ों में दर्द और सूजन का होना।
*बुखार आना।
*आंखों में सूजन और लालिमा का होना।
*उपर्युक्त लक्षण छह हफ्ते से लेकर तीन महीने तक कायम रह सकते हैं।
*रक्त में हीमोग्लोबिन का कम होना और व्हाइट ब्लड सेल्स ज्यादा पायी जाती हैं।
अर्थराइटिस मे आहार का रखे ध्यान
अपने आहार में 25 प्रतिशत फल व सब्जि़यों को शामिल करें और ध्यान रखें कि आपको कब्ज़ ना हो।
* फलों में सन्तरे, मौसमी, केले, सेब, नाश्पाती, नारियल, तरबूज़ और खरबूज़ आपके लिए अच्छे हो सकते हैं।
* सब्जि़यों में मूली, गाज़र, मेथी, खीरा, ककड़ी आपके आदि लें।
* चोकरयुक्त आटे का प्रयोग करें क्योंकि इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होता है ।
दर्द से राहत पहुंचाने वाले घरेलू नुस्खे
एक अच्छि औषधि है जो इसी के लिए काम आती है। एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है, उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुशबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते हैं।
इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पीस के चटनी बनाइए और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये। फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है जिसको भी 20,30,40 साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो। देखते ही देखते सारी तकलीफ गायब हो जाएगी।
इसको 3 महीने लगातार देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन का गेप दे कर फिर से 3 महीने देना है। अधिकतम केसेज मे ज्यादा से ज्यादा एक से डेढ़ महीने मे रोगी ठीक हो जाते है। इसको हर रोज नया बना कर पीना है। ये औषधि एक्सक्लूसिव है और बहुत स्ट्रॉंग औषधि है इसलिए अकेली ही देना चाहिये,इसके साथ कोई भी दूसरी दवा न दें नही तो तकलीफ होगी।
ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा बैठ कर और घूंट घूंट पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा।
*दर्द के समय आप सन बाथ ले सकते हैं।
*5 से 10 ग्राम मेथी के दानों का चूर्ण बनाकर सुबह पानी के साथ लें।
* 4 से 5 लहसुन की कलियों को एक पाव दूध में डालकर उबालकर पीयें।
* लहसुन के रस को कपूर में मिलाकर मालिश करने से भी दर्द से राहत मिलती है।
* लाल तेल से मालिश करना भी आरामदायक होता है।
* गर्म दूध में हल्दीर मिलाकर दिन में दो से तीन बार पीयें।
* सोने से पहले दर्द से प्रभावित क्षेत्र पर गर्म सिरके से मालिश करें।
* शरीर में पानी की मात्रा संतुलित रखें।
* जोड़ों के दर्द से बचने के लिए सबसे अच्छा। योगासन है गोमुखआसन।
-एक्सरसाइज करनी चाहिए आर्थराइटिस
*जोड़ों के मूवमेंट को सामान्य बनाए रखने के लिए मोशन की अलग-अलग तरह की एक्सरसाइज करनी चाहिए। इस तरह की एक्सरसाइज की मदद से शरीर में लचीलापन बना रहता है। आपको बता दें कि इन मोशन एक्सरसाइजों को नियमित रूप से किया जा सकता है, लेकिन कम से कम एक दिन छोड़ एक दिन इन्हें जरूर करना चाहिए।
*एरोबिक्स या फिर एंड्यूरेंस एक्सरसाइज कार्डियोवस्कुलर फिटनेस को बेहतर बनाती है, वजन को कंट्रोल करने के साथ पूरे शरीर को स्वस्थ रखती है। अर्थराइटिस के मरीजों के लिए वजन कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी होता है, क्ंयोकि ज्यादा वजन होने के कारण जोड़ों पर भी भार ज्यादा पड़ता है। एंड्यूरेंस एक्सरसाइज को हफ्ते में तीन बार 20 से 30 मिनट के लिए करना चाहिए। ध्यान रहे इस दौरान आपको किसी भी जोड़ में दर्द या सूजन न हो।
इन बातों का रखें ख्याल
*किसी भी एक्सरसाइज को शुरु करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह ले लेनी चाहिए। अर्थराइटिस के ज्यादातर मरीजों को हल्की मोशन एक्सरसाइज के साथ ही शुरुआत करनी चाहिए।
*अर्थराइटिस के मरीजों को जोड़ों की सिकाई जरूर करनी चाहिए।
*जब भी आप अलग-अलग तरह की मोशन एक्सरसाइज करें तो इस दौरान स्ट्रेचिंग और वॉर्म-अप करना न भूलें।
*एक्सरसाइज करने के बाद दर्द वाली जगह को बर्फ से भी सेंके।
*ध्यान रहे जब भी आपके जोड़ों में दर्द हो या वह लाल पड़ जाए या फिर उसमें सूजन आ जाए तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।