संपर्क : 7454046894
तरबूज की खेती

खेती कैसे करें
तरबूजा एक कुकरविटेसी परिवार की गर्मियों की सब्जी तथा फल होता है जोकि गर्मी में पैदा किया जाता है । यह फसल उत्तरी भारत के भागों में अधिक पैदा की जाती है । सब्जी के रूप में कच्चे फल जिनमें बीज कम व गूदा ही प्रयोग किया जाता है । तरबूजे की फसल तराई व गंगा यमुना के क्षेत्रों में अधिक पैदा किये जाते हैं ।
तरबूजा एक गर्मियों का मुख्य फल है । जोकि मई-जून की तेज धूप व लू के लिये लाभदायक होता है । फल गर्मी में अधिक स्वादिष्ट होते हैं । फलों का सेवन स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है । तरबूजे में पोषक तत्व भी होते हैं जैसे- कैलोरीज, मैग्नीशियम, सल्फर, लोहा, आक्जौलिक अम्ल तथा पोटेशियम की अधिक मात्रा प्राप्त होती है तथा पानी की भी अधिक मात्रा होती है ।तरबूज की उन्नत खेती के लिए आवश्यक भूमि व जलवायुतरबूज की उन्नत खेती के लिए आवश्यक भूमि व जलवायुतरबूजे के लिए अधिक तापमान वाली जलवायु सबसे अच्छी होती है । गर्म जलवायु अधिक होने से वृद्धि अच्छी होती है । ठण्डी व पाले वाली जलवायु उपयुक्त नहीं होती । अधिक तापमान से फलों की वृद्धि अधिक होती है । बीजों के अंकुरण के लिये 22-25 डी०से०ग्रेड तापमान सर्वोत्तम है तथा सन्तोषजनक अंकुरण होता है । नमी वाली जलवायु में पत्तियों में बीमारी आने लगती है तरबूज की
तरबूजे के लिए रेतीली तथा रेतीली दोमट भूमि सबसे अच्छी होती है । इसकी खेती गंगा, यमुना व नदियों के खाली स्थानों में क्यारियां बनाकर की जाती है । भूमि में गोबर की खाद को अच्छी तरह मिलाना चाहिए । अधिक रेत होने पर ऊपरी सतह को हटाकर नीचे की मिट्टी में खाद मिलाना चाहिए । इस प्रकार से भूमि का पी. एच. मान 5.5-7.0 के बीच होना चाहिए ।
भूमि की तैयारी की आवश्यकता अनुसार जुताई कराकर खेत को ठीक प्रकार से तैयार कर लेना चाहिए तथा साथ-साथ छोटी-छोटी क्यारियां बना लेनी उचित रहती हैं । भारी मिट्टी को ढेले रहित कर बोना चाहिए । रेतीली भूमि के लिये अधिक जुताइयों की आवश्यकता नहीं पड़ती । इस प्रकार से 3-4 जुताई पर्याप्त होती हैं ।