मत्स्येन्द्रासन का लाभ

अर्धमत्स्येन्द्रासन के लाभ| मेरुदंड को मजबूती मिलती है। मेरुदंड का लचीलापन बढ़ता है। छाती को फ़ैलाने से फेफड़ो को ऑक्सीजन ठीक मात्रा में मिलती है|

अर्धमत्स्येंद्रयासन के‬ ‪‎लाभ‬

  • 1 अर्धमत्स्येंद्रयासन से मेरुदंड स्वस्थ रहने से स्फूर्ति बनी रहती है
  • 2.रीढ़ की हड्डियों के साथ उनमें से निकलने वाली नाड़ियों को भी अच्छी कसरत मिल जाती है।
  • 3 पीठ, पेट के नले, पैर, गर्दन, हाथ, कमर, नाभि से नीचे के भाग एवं छाती की नाड़ियों को अच्‍छा खिंचाव मिलने से उन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
  • 4.फलत: बंधकोष दूर होता है।
  • 5.जठराग्नि तीव्र होती है।
  • 6.विवृत, यकृत, प्लीहा तथा निष्क्रिय वृक्क के लिए यह आसन लाभदायी है।
  • 7.कमर, पीठ और संधिस्थानों के दर्द जल्दी दूर हो जाते हैं।
  • 8. पीठ की मांसपेशियों को लचीला बनाता है ।
  • 9. पित के स्त्राव को नियमन करता है ।
  • 10. कब्ज रोग में लाभकारी है ।
  • 11. पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है ।
  • 12. ग्रीवा प्रदेेश में एकत्र रक्त पर दबाव डाल कर उसमें बहाव उत्पन करता है ।
  • 13. पैर की मासपेशियों को लचीला बनाता है ।
  • 14. जोडों के कङेपन को दूर करता है।
  • 15. जिन्हें मधुमेह की समस्या है , यह आसन उनके शरीर में अग्नाशय को सक्रिय बनाकर इन्सुलिन के उत्पादन में सहयोग देता है ।

 

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन आसन ऐसे करे

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन  आसन ऐसे करे

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन क्या है उसका अर्थ 

मत्स्येन्द्रासन की रचना गोरखनाथ के गुरु स्वामी मत्स्येन्द्रनाथ ने की थी। वे इस आसन में ध्यानस्थ रहा करते थे। मत्स्येन्द्रासन की आधी क्रिया को लेकर ही अर्ध-मत्स्येन्द्रासन प्रचलित हुआ। रीढ़ की हड्डियों के साथ उनमें से निकलने वाली नाड़ियों को यह आसन पुष्ट करता है
विधि इस प्रकार है  Read More : अर्द्धमत्स्येन्द्रासन आसन ऐसे करे about अर्द्धमत्स्येन्द्रासन आसन ऐसे करे