अर्ध-मत्स्येन्द्रासन

सर्वप्रथम बैठने की स्थिति में आइए अब दायें पैर को घुटने से मोड़कर  एड़ी  गुदाद्वार के नीचे  ले जाइए । 

बायें पैर के पंजे को दायें पैर के घुटने के पास बाहर की तरफ रखिए । 

अब दायें हाथ को बायें घुटने के बाहर से लाइए और बायें पैर के अंगूठे को पकडिए। 

अब बायें हाथ को पीठ के पीछे से ले जाकर दायें जाँघ पर रखिए गर्दन को बायें और मोड़कर पीछे देखिए। 

कुछ देर इसी स्थिति को रोकिए धीरे से वापिस आइए। 

ठीक इसी तरह अब दूसरी तरफ से दोहरायें। 

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अर्द्धमत्स्येन्द्रासन आसन ऐसे करे

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन  आसन ऐसे करे

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन क्या है उसका अर्थ 

मत्स्येन्द्रासन की रचना गोरखनाथ के गुरु स्वामी मत्स्येन्द्रनाथ ने की थी। वे इस आसन में ध्यानस्थ रहा करते थे। मत्स्येन्द्रासन की आधी क्रिया को लेकर ही अर्ध-मत्स्येन्द्रासन प्रचलित हुआ। रीढ़ की हड्डियों के साथ उनमें से निकलने वाली नाड़ियों को यह आसन पुष्ट करता है
विधि इस प्रकार है  Read More : अर्द्धमत्स्येन्द्रासन आसन ऐसे करे about अर्द्धमत्स्येन्द्रासन आसन ऐसे करे