भ्रामरी प्राणायाम विडियो

भ्रामरी प्राणायाम करे

किस स्थिति में बैठना चाहिए:- इस प्रकार ध्यान के आसान में बैठें.

विधि:-

  • आसन में बैठकर रीढ़ को सीधा कर हाथों को घुटनों पर रखें . तर्जनी को कान के अंदर डालें।
  • दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे-धीरे ओम शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज में कंठ से भौंरे के समान गुंजन करें।
  • नाक से श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दे।
  • पूरा श्वास निकाल देने के पश्चात भ्रमर की मधुर आवाज अपने आप बंद होगी।
  • इस प्राणायाम को तीन से पांच बार करें|

 लाभ इस प्रकार है - Read More : भ्रामरी प्राणायाम करे about भ्रामरी प्राणायाम करे

भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम का नाम भारत में पाई जाने वाली बढ़ई मधुमक्खी से प्रेरित है जिसे भ्रामरी भी कहा जाता है। इस प्राणायाम को करने के पश्चात व्यक्ति का मन तुरंत शांत हो जाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास द्वारा, किसी भी व्यक्ति का मन, क्रोध, चिंता व निराशा से मुक्त हो जाता है। यह एक साधारण प्रक्रिया है जिसको घर य ऑफिस, कहीं पर भी किया जा सकता है। यह प्राणायाम चिंता-मुक्त होने का सबसे अच्छा विकल्प है।

इस प्राणायाम में साँस छोड़ते हुए ऐसा प्रतीत होता है की आप किसी बढ़ई मधुमक्खी की ध्वनि निकाल रहे हैं। जो इसके नाम का स्पष्टीकरण करता है। Read More : भ्रामरी प्राणायाम about भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणयाम करने का तरीका

श्वांस को लम्बा गहरा फफड़ों में भरते हुये, दोनों कानों में अंगुलियां डालकर कानों को बन्द कर देंगे, बाहर की कोई भी ध्वनि सुनाई ना दे। अब मुहं व होठों का बन्द करके जीभ को ऊपर तालु पर लगा देंगे। ओउम का दीर्घ गुंजन, भौरें के उड़ते समय की ध्वनि की तरह करेंगे, जिसमें श्वांस नासिका से गुंजन के साथ बाहर निकलेगा और पूरे मस्तिष्क में कम्पन्न होगा। यह प्राणायाम करते समय अपना ध्यान आज्ञा चक्र भृकुटिद् पर केन्द्रित करेंगे। इस प्रकार 5 से 7 बार दोहरायेंगे। मन एकाग्र होता है, याददाश्त तेज होती है। मानसिक तनाव, उच्चरक्तचाप, हृदयरोग, उत्तेजना में लाभप्रद।  Read More : भ्रामरी प्राणयाम करने का तरीका about भ्रामरी प्राणयाम करने का तरीका