इस दिन बेटी की विदाई हो सकती है अशुभ

बेटी की बिदाई- मां के लिए बड़ी चुनौती है इस प्रकार

आधुनिक सुसंस्कृत परिवारों में बदलाव की पहल दोनों ओर से होती है लेकिन नई बहू को ही सबसे ज्यादा समझौता करना होता है। ऐसे में मायके के संस्कार व स्वयं को परिस्थितियों के अनुरूप ढालने की मानसिकता ही सब कुछ सहज-सरल बनाती है व प्यारी बिटिया धीरे-धीरे लाड़ली बहू बन जाती है।

स्त्री जीवन की यह सबसे बड़ी विडंबना है कि उसका जन्म किसी एक परिवार में होता है, जहां वह कोई 22-25 साल परवरिश पाती है और फिर 7 फेरों के साथ ही वह नितांत अजनबी परिवार में जीवन बिताने को अग्रसर होती है। ऐसे में उसे ही नए परिवार व परिवेश को अपनाना होता है, अपनी आदतों को उस परिवार के अनुसार बदलना होता है Read More : बेटी की बिदाई- मां के लिए बड़ी चुनौती है इस प्रकार about बेटी की बिदाई- मां के लिए बड़ी चुनौती है इस प्रकार