अर्ध हलासन का महत्व

अर्ध हलासन से लाभ, आंतों को ताकतवर बनाता है। कब्‍ज के रोगियों को इसे करने से लाभ मिलता है। यह खाना पचाने की ताकत को बढ़ाता है और मोटापे से लड़ने में मदद करता है। जिन लोगों को गैस की दिक्‍कत है वो इस आसन का नियमित अभ्‍यास करें, आराम मिलता है। अगर नाभि टल गई तो दो से तीन मिनट तक इस आसन को करना चाहिए, नाभि अपनी जगह बैठ जाती है। कमर में दर्द रहता है तो इस आसन को बारी बारी एक एक पैर से करना चाहिए। कमर को ताकत मिलती है। इस आसन के नियमित अभ्‍यास से रीढ़ की हड्डी और भीतर की मसल्‍स ताकतवर बनती हैं। पैरों का सो जाना और उनका झनझनाना कम हो जाता है।

हलासन करने का तरीका और फायदे

नाभि का टलना दूर करता है सुप्तवज्रासन

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सुप्त का अर्थ होता है सोया हुआ अर्थात वज्रासन की स्थिति में सोया हुआ। इस आसन में पीठ के बल लेटना पड़ता है, इसिलिए इस आसन को सुप्त-वज्रासन कहते है, जबकि वज्रासन बैठकर किया जाता है

विधिः 

१.      वज्रासन में बैठकर हाथों को पाश्व भाग में रखकर उनकी सहायता से शरीर को पीछे झुकाते हुए भूमि पर सर को टिका दीजिये। घुटने मिले हुए हों तथा भूमि पर ठीके हुए हों। 
२.      धीरे-धीरे  कंधो,ग्रीवा एवं पीठ को भूमि पर टिकाने का प्रयत्न कीजिये।  हाथों को जंघाओं पर सीधा रखे। 
३.      आसन को छोड़ते समय कोहनियों एवं हाथों का सहारा लेते हुये वज्रासन में बैठ जाइए।  Read More : नाभि का टलना दूर करता है सुप्तवज्रासन about नाभि का टलना दूर करता है सुप्तवज्रासन

शशकासन योग के फायदे

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शशक का का अर्थ होता है खरगोश। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशकासन कहते हैं। इस आसन को कई तरीके से किया जाता है यहां प्रस्तुत है सबसे सरल तरीका।

आसन विधि : सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर उठा लें। कंधों को कानों से सटा हुआ महसूस करें। फिर सामने की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को आगे समानांतर फैलाते हुए, श्वास बाहर निकालते हुए हथेलियां को भूमि पर टिका दें। फिर माथा भी भूमि पर टिका दें। कुछ समय तक इसी स्थिति में रहकर पुनः वज्रासन की‍ स्थिति में आ जाइए। Read More : शशकासन योग के फायदे about शशकासन योग के फायदे