केंचुआ खाद - काला सोना : कृषि के लिये वरदान-
Submitted by Anand on 18 July 2019 - 2:07pmकेंचुआ खाद - काला सोना : कृषि के लिये वरदान-
केंचुआ अपने आहार के रूप में प्रतिदिन लगभग अपने शरीर के वजन के बराबर मिट्टी व कच्चे जीवांष को निगलकर अपने पाचन नलीका से गुजारते हैं जिससे वह महीन कम्पोस्ट में परिवर्तित होते हैं और अपने शरीर से बाहर छोटे-छोटे कास्टिंग के रूप में निकालते हैं, यही केंचुआ खाद है. इस विधी द्वारा केंचुआ खाद मात्र 47 से 75 दिनों में तैयार हो जाते हैं. उसमें उसके कास्ट, अण्डे, कोकून व सूक्ष्म जीवाणु, पोषक तत्व तथा अपचित जैविक पदार्थ होते हैं. जो लम्बे समय तक मृदा को उपजाऊ रखते हैं. Read More : केंचुआ खाद - काला सोना : कृषि के लिये वरदान- about केंचुआ खाद - काला सोना : कृषि के लिये वरदान-