कर्म का नियम
Submitted by hayatbar on 1 July 2021 - 10:01amकर्म का नियम , पहले तो, नियम ही नहीं है। वह शब्द उसे इस तरह की गंध देता है जैसे वह कुछ वैज्ञानिक हो , गुरुत्वाकर्षण के नियम की तरह। वह सिर्फ एक आशा है , नियम तो जरा भी नहीं है।सदियों तक यह आशा की
गई है कि तुम भलाई करोगे तो कुछ भले परिणाम होंगे। यह अस्तित्व में एक मानवीय आशा है लेकिन अस्तित्व बिलकुल तटस्थ है।