मिट्टी में ‘हीमोग्लोबिन’ की कमी

मिट्टी में ‘हीमोग्लोबिन’ की कमी

हरित क्रांति के बाद खाद्यान्न उत्पादन में तो देश आत्मनिर्भर तो हो गया, परंतु रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की सेहत खराब हो गई। खेती के लिए जरूरी मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी के कारण फसल का दाना (बीज) कमजोर होने लगा है। इसके लिए खेतों के किनारे पक्षी आश्रय स्थल बनाकर व मेड़ पर फूलों के पौधे लगाकर फिर से मिट्टी की सेहत ठीक कर सकते हैं। मिट्टी में नाइट्रोजन की वही भूमिका होती है, जो मनुष्य की शरीर में हीमोग्लोबिन की होती है।

 

पौधों के बेहतर विकास के लिए 16 प्रमुख पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इसमें से तीन पोषक तत्व कार्बन, हाईड्रोजन तथा आक्सीजन वायु मंडल और पानी से मिलते हैं। अन्य 13 पोषक तत्व न्राइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, जिंक, आयरन, कॉपर, मैंगनीज, बोरान, मालीब्डेनम व क्लोरीन जमीन से मिलते हैं। किसानों ने बिना जांचे-परखे जरूरत से ज्यादा रासायनिक उर्वरकों को खेत में डाला, जिससे प्रमुख पोषक तत्व नाइट्रोजन तथा फास्फोरस की कमी होने लगी। वहीं, पानी की कमी के कारण भूजल स्तर नीचे जाने लगा और खेती के उत्पादन में ठहराव का सा आ गया।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दिए गए सुझाव के अनुसार अब किसान खाद डाल रहे हैं, इससे खेत की सेहत सुधराने में मदद मिलेगी तथा फसल का उत्पादन भी बढ़ेगा।
-नरेंद्र प्रताप सिंह, सहायक निदेशक
क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला

 

https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/jhansi/low-nitrogen-soil

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