ध्यान में आध्यात्मिक अनुभव

ध्यान : अपना मुंह बंद करो!

अपना मुंह बंद करो

“तुम इसे कर सकते हो – मुंह बन्द करना बहुत बड़ा काम नहीं है। तुम एक मूर्ति की तरह बैठ सकते हो, मुंह को पूरी तरह बन्द किये, लेकिन यह क्रियाशीलता नहीं रोकेगा। अन्दर गहरे में विचार चलते रहेंगे, और अगर विचार चल रहे हैं तो तुम ओठों पर सूक्ष्म कंपन अनुभव कर सकते हो। दूसरे इसे नहीं भी देख पाएं, क्योंकि वे बहुत सूक्ष्म हैं, लेकिन अगर तुम सोच रहे हो तो तुम्हारे ओंठ थोड़े कंपित होते हैं – एक बहुत सूक्ष्म कंपन। Read More : ध्यान : अपना मुंह बंद करो! about ध्यान : अपना मुंह बंद करो!

ध्यान : अपने हृदय में शांति का अनुभव करें

शांति का अनुभव करें

यह बड़ी सरल विधि है, परंतु चमत्कारिक ढंग से कार्य करती है। कोई भी इसे कर सकता है। अपनी आंखें बंद कर लो और दोनों कांखों के बीच के स्थान को महसूस करो; हृदय-स्थल को, अपने वक्षस्थल को महसूस करो। पहले केवल दोनों कांखों के बीच अपना पूरा अवधान लाओ, पूरे होश से महसूस करो। पूरे शरीर को भूल जाओ और बस दोनों कांखों के बीच हृदय-क्षेत्र और वक्षस्थल को देखो, और उसे अपार शांति से भरा हुआ महसूस करो। जिस क्षण तुम्हारा शरीर विश्रांत होता है तुम्हारे हृदय में स्वतः ही शांति उतर आती है। हृदय मौन, विश्रांत और लयबद्ध हो जाता है। और जब तुम अपने सारे शरीर को भूल जाते हो और अवधान को बस वक्षस्थल पर ले आते हो और उसे श Read More : ध्यान : अपने हृदय में शांति का अनुभव करें about ध्यान : अपने हृदय में शांति का अनुभव करें

ओशो – ध्यान में होने वाले अनुभव !

ओशो – ध्यान में होने

यही क्या कम है ? इस अंधेरे से भरी जिंदगी में अगर क्षणभर को भीतर रौशनी हो जाती है , कोई कम चमत्कार है ? क्योंकि वहां न तो बिजली का कोई कनेक्शन है , न वहां कोई ईंधन है , न वहा कोई तेल है । बिन बाती बिन तेल ! यह रोशनी चमत्कार है । जहां सदा से अन्धकार पड़ा रहा है , वहां अचानक ज्योति उठ आती है —यह चमत्कार है । प्रभु की अनुकंपा हो रही है । घन्यवाद करो ! धन्यवाद से और अनुकंपा बढ़ेगी ।

इस बात का सदा ख्याल में रखो : जितना तुम्हारा धन्यवाद गहरा होगा , उतनी ही तुम्हारी उपलब्धि बढ़ती चली जायेगी । Read More : ओशो – ध्यान में होने वाले अनुभव ! about ओशो – ध्यान में होने वाले अनुभव !