ध्यान में शरीर का हिलना

ध्यान : अनुभव करें, विचारें नहीं

ध्यान : अनुभव करें, विचारें नहीं

तुम बगीचे में बैठे हो और सड़क पर ट्रैफिक है, शोरगुल है और तरहत्तरह की आवाजें आ रही हैं। तुम अपनी आंखें बंद कर लो और वहां होने वाली सबसे सूक्ष्म आवाज को पकड़ने की कोशिश करो। कोई कौआ कांव-कांव कर रहा है; कौए की इस कांव-कांव पर अपने को एकाग्र करो। सड़क पर यातायात का भारी शोर है, इसमें कौए की आवाज इतनी धीमी है, इतनी सूक्ष्म है कि जब तक तुम अपने बोध को उस पर एकाग्र नहीं करोगे तुम्हें उसका पता भी नहीं चलेगा। लेकिन अगर तुम एकाग्रता से सुनोगे तो सड़क का सारा शोरगुल दूर हट जाएगा और कौए की आवाज केंद्र बन जाएगी। और तुम उसे सुनोगे, उसके सूक्ष्म भेदों को भी सुनोगे। वह बहुत सूक्ष्म है, लेकिन तुम उसे सुन पाओग Read More : ध्यान : अनुभव करें, विचारें नहीं about ध्यान : अनुभव करें, विचारें नहीं

मैं--तू' ध्यान - (ओशो: ध्यान विज्ञान)

मैं--तू' ध्यान - (ओशो: ध्यान विज्ञान)

कभी एक छोटा प्रयोग करें...चौबीस घंटे के लिए 'मैं' को केंद्र से हटा दें, सिर्फ चौबीस घंटे के लिए; 'तू' को केंद्र पर रख लें। सिर्फ चौबीस घंटे के लिए सतत स्मरण रखें कि 'तू'। जब पैर में पत्थर लग जाए, तब भी; जब कोई गाली दे जाए, तब भी; जब कोई अंगारा फेंक दे ऊपर, तब भी; जब कोई फूल की माला डाले, तब भी; जब कोई चरणों में सिर रख दे, तब भी--चौबीस घंटे के लिए स्मरण रख लें कि मैं नहीं हूं केंद्र पर, 'तू' है। तो आपकी जिंदगी में एक नये अध्याय का प्रारंभ हो जाएगा। अगर चौबीस घंटे यह स्मरण संभव हो सका, अगर पूरा न भी हुआ, चौबीस घंटे में चौबीस मिनट भी पूरा हो गया, तो आप वही आदमी दुबारा नहीं हो सकेंगे; क्योंकि ए Read More : मैं--तू' ध्यान - (ओशो: ध्यान विज्ञान) about मैं--तू' ध्यान - (ओशो: ध्यान विज्ञान)

प्रत्येक ध्यान के शीघ्र बाद करुणावान रहो

करुणावान व्यक्ति सर्वाधिक धनी होता है, वह सृष्टि के शिखर पर विराजमान है। उसकी कोई परिधि नहीं, कोई सीमा नहीं। वह बस देता है और अपनी रास्ते चला जाता है। वह तुम्हारे धन्यवाद की भी प्रतीक्षा नहीं करता। वह अत्यंत प्रेम से अपनी उर्जा को बांटता है। इसी को मैं स्वास्थ्य्प्रद कहता हूं। Read More : प्रत्येक ध्यान के शीघ्र बाद करुणावान रहो about प्रत्येक ध्यान के शीघ्र बाद करुणावान रहो

ध्यान : अपना मुंह बंद करो!

अपना मुंह बंद करो

“तुम इसे कर सकते हो – मुंह बन्द करना बहुत बड़ा काम नहीं है। तुम एक मूर्ति की तरह बैठ सकते हो, मुंह को पूरी तरह बन्द किये, लेकिन यह क्रियाशीलता नहीं रोकेगा। अन्दर गहरे में विचार चलते रहेंगे, और अगर विचार चल रहे हैं तो तुम ओठों पर सूक्ष्म कंपन अनुभव कर सकते हो। दूसरे इसे नहीं भी देख पाएं, क्योंकि वे बहुत सूक्ष्म हैं, लेकिन अगर तुम सोच रहे हो तो तुम्हारे ओंठ थोड़े कंपित होते हैं – एक बहुत सूक्ष्म कंपन। Read More : ध्यान : अपना मुंह बंद करो! about ध्यान : अपना मुंह बंद करो!

ध्यान : अपने हृदय में शांति का अनुभव करें

शांति का अनुभव करें

यह बड़ी सरल विधि है, परंतु चमत्कारिक ढंग से कार्य करती है। कोई भी इसे कर सकता है। अपनी आंखें बंद कर लो और दोनों कांखों के बीच के स्थान को महसूस करो; हृदय-स्थल को, अपने वक्षस्थल को महसूस करो। पहले केवल दोनों कांखों के बीच अपना पूरा अवधान लाओ, पूरे होश से महसूस करो। पूरे शरीर को भूल जाओ और बस दोनों कांखों के बीच हृदय-क्षेत्र और वक्षस्थल को देखो, और उसे अपार शांति से भरा हुआ महसूस करो। जिस क्षण तुम्हारा शरीर विश्रांत होता है तुम्हारे हृदय में स्वतः ही शांति उतर आती है। हृदय मौन, विश्रांत और लयबद्ध हो जाता है। और जब तुम अपने सारे शरीर को भूल जाते हो और अवधान को बस वक्षस्थल पर ले आते हो और उसे श Read More : ध्यान : अपने हृदय में शांति का अनुभव करें about ध्यान : अपने हृदय में शांति का अनुभव करें

ओशो – ध्यान में होने वाले अनुभव !

ओशो – ध्यान में होने

यही क्या कम है ? इस अंधेरे से भरी जिंदगी में अगर क्षणभर को भीतर रौशनी हो जाती है , कोई कम चमत्कार है ? क्योंकि वहां न तो बिजली का कोई कनेक्शन है , न वहां कोई ईंधन है , न वहा कोई तेल है । बिन बाती बिन तेल ! यह रोशनी चमत्कार है । जहां सदा से अन्धकार पड़ा रहा है , वहां अचानक ज्योति उठ आती है —यह चमत्कार है । प्रभु की अनुकंपा हो रही है । घन्यवाद करो ! धन्यवाद से और अनुकंपा बढ़ेगी ।

इस बात का सदा ख्याल में रखो : जितना तुम्हारा धन्यवाद गहरा होगा , उतनी ही तुम्हारी उपलब्धि बढ़ती चली जायेगी । Read More : ओशो – ध्यान में होने वाले अनुभव ! about ओशो – ध्यान में होने वाले अनुभव !