बैंक आपके विषय में क्या ज़रूरी बातें जानना चाहते हैं ?

जहाँ तक संभव हो, अपने बैंकर या वित्तीय सलाहकार को पूरी और पारदर्शी जानकारी दें। इससे वे पूरी स्थिति समझ सकेंगे और आपको उपयुक्त सलाह दे सकेंगे। कोई महत्त्वपूर्ण सूचना, जैसे अन्य ऋणदाताओं के प्रति संभवित देयताएँ या यह तथ्य कि आपने पहले ही अपनी आस्तियाँ गिरवी रखी हुई हैं, न देने से बाद में कठिनाइयाँ पैदा होंगी। तब तक आप अपना काफी समय व्यर्थ कर चुके होंगे और शायद बैंक के संव्यवहार के अपने रास्ते भी बंद कर चुके हों। 

सामान्य विवरण

यदि ऋणदाता आपको पहले अच्छी करह से नहीं जानता है, तो यह बेहतर होगा कि अपना और अपनी पृष्ठभूमि से संबंधित जानकारी तैयार रखें। इसमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं :

पहचान-पत्र

यदि आपको व्यवसायी समुदाय में अब तक की जानता नहीं है, तो यह उचित होगा कि आप किसी ऐसे व्यक्ति के सौजन्य से अपना परिचय दें, जिसे व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति सम्मान देते हों और जो आपको भली-भाँति जानता हो।   एक संक्षिप्त पत्र, जिसमें आपकी उपलब्धियों का विवरण हो, आपके अच्छा चरित्र एवं सत्यनिष्ठा प्रमाणित की गई हो, परिचय का एक परंपरागत तरीका है। यदि संदर्भ देने वाला व्यक्ति व्यवसायी समुदाय में सम्मानित होगा, तो इसका प्रभाव सकारात्मक होगा।

आपका व्यक्तिगत विवरण/प्रोफ़ाइल

यह आपका संक्षिप्त विवरण या व्यक्तिवृत्त है, जिसमें आपकी शैक्षिक उपलब्धियाँ, पेशागत प्रशिक्षण, योग्यताएँ, रोज़गार संबंधी विवरण और उपलब्धियाँ शामिल होते हैं। यह एक या दो पृष्ठ से अधिक लंबा नहीं होना चाहिए। आपके उक्त विवरण से आपके बैंक को व्यापार करने, निर्यात के लिए सामानों का उत्पादन करने और सेवाएं देने तथा व्यक्तियों के प्रबंध के बारे में आपकी क्षमता का मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी।  

यदि पूर्व नियोक्ताओं के प्रमाणपत्र एवं संदर्भ हों, और आपको लगता हो कि वे प्रासंगिक हैं, तो उन्हें संलग्न करें। उनसे आपके अनुभव और क्षमताएँ दर्शाने में मदद मिलेगी, विशेष रूप से यदि नियोक्ता ज्ञात और सम्मानित है और उसने आपके विषय में सकारात्मक टिप्पणियाँ दी हैं।  

आपके व्यवसाय की विवरणिका (ब्रोशर)

अपनी कंपनी की विवरणिका देने से न झिझकें। उसमें आपके व्यवसाय के स्वरूप, उत्पादों तथा आप कब से इस व्यापार में हैं, इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए। ग्राहकों की सूची देना उचित होगा। यदि सूची गोपनीय है, तो बैंकर को उसे देते समय यह बात स्पष्ट रूप से बताएँ। यदि आप भागीदारी में हैं या आपकी कंपनी में निदेशक हैं, तो वे कौन हैं, यह जानकारी दें और उनमें से प्रत्येक के बारे में संक्षिप्त विवरण भी दें, विशेष रूप से यदि व्यवसायी समुदाय में अच्छी प्रतिष्ठा है।

बैंक और अन्य संदर्भ Bank and Other References

यदि संस्था आपका वर्तमान बैंकर नहीं है, तो अपने बैंक का संदर्भ दें, ताकि संस्था आपके बारे में विवरणों, विशेष रूप से भुगतानों की नियमितता, पिछले ऋण का रिकॉर्ड और सामान्य प्रतिष्ठा  की जाँच कर सके। आपके लेखाकार एवं अधिवक्ता के नाम बताना भी मददगार होगा। 

कंपनी के स्वामित्व या पंजीकरण का प्रमाण

कुछ देशों में यह प्रमाण आवश्यक होता है कि जिस कंपनी के नाम में आप ऋण लेना चाहते हैं, वह आपकी है और विधिवत् पंजीकृत है। लेखापरीक्षित या अनुमोदित लेखों के अभाव में आपको आस्तियों एवं देयताओं की शपथयुक्त सूची देनी पड़ सकती है। पहले से यह जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करें कि क्या कोई ऐसे पात्रता मानदंड हैं, जिनके लिए आपको दस्तावेज़ या विवरणियाँ प्रस्तुत करने की आवश्यकता हो, विशेष रूप से तब, जब आप निर्यातकों के लिए विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराने वाली सरकारी या राजकीय संस्थाओं से संपर्क कर रहे हों। 

वित्तीय स्थिति

कोई भी ऋणदाता आपके व्यवसाय की अद्यतन वित्तीय सूचनाओं की अपेक्षा करेगा। जो मानक वित्तीय रिपोर्टें आपको तैयार रखनी चाहिए, वे हैं :

तुलनपत्र, लाभ एवं हानि लेखा, तथा नक़दी प्रवाह विवरण

इनकी लेखापरीक्षा सनदी लेखाकारों की किसी फ़र्म से कराई जानी चाहिए, या उन्हें स्वतंत्र लेखाकार से प्रमाणित कराया जाना चाहिए और ये आपके निदेशक मंडल से अनुमोदित होने चाहिए। अन्यथा आपको इस आशय का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा कि आपके लेखे आपकी वित्तीय स्थिति को सही-सही और स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। आपके तुलनपत्र का आकार और आपके व्यवसाय में ईक्विटी का राशि महत्त्वपूर्ण हैं, किंतु वे अल्पावधि ऋण मंजूर करने के आपके बैंकर के निर्णय को निर्धारित करने वाले कारक नहीं हैं। आपका बैंकर उन संव्यवहारों के बारे में ज्यादा चिंतित होगा, जो संबंधित सुविधा के अधीन किए जाएँगे। यदि आपके लेखापरीक्षित लेखे पुराने, जैसे - तीन माह से अधिक पुराने (अर्थात् लेखों की बंदी की तिथि तीन माह या उससे अधिक पुरानी है), तो आप अपना हाल का परिचालन विवरण एवं नक़दी प्रवाह विवरण अपने साथ तैयार रखें।

चालू या आगामी वर्ष के लिए बज़ट

इस दस्तावेज़ में चालू वर्ष या आगामी वर्ष के लिए आपकी प्रानुमानित बिक्री और राजस्व के आँकड़े और साथ ही साथ परिचालन लागत एवं ऊपरी खर्चों के आँकड़े परिलक्षित होने चाहिए। यदि कोई योजनाबद्ध पूँजी व्यय है, तो आप उसके बारे में अलग से दस्तावेज़ तैयार रखें।  आपके बज़टाधीन (या अनुमानित) राजस्व का विवरण पर्याप्त रूप से विस्तार से दिया जाना चाहिए, ताकि वह विश्वसनीय हो सके। दूसरे शब्दों में, आँकड़े केवल इच्छा-कल्पित सोच के परिणाम नहीं होने चाहिए, बल्कि पक्के और अनंतिम आदेशों पर आधारित होने चाहिए और आप उसमें पिछले कार्यनिष्पादन के आधार पर प्रत्याशित आदेश जोड़ सकते हैं।

बुक किए गए आदेशों का वाणिज्यिक सूचना संबंधी विवरण

यदि आप किसी बड़ी या लाभप्रद नई संविदा को पूरा करने के लिए ऋण का अनुरोध कर रहे हैं, तो सभी दस्तावेज़, पत्राचार, आपूर्तिकर्ता से प्राप्त दर-सूचियाँ(कोटेशन), क्रेता एवं आपूर्तिकर्ता के साथ संविदा के प्रारूप, तथा आपका अपना लागत निर्धारण विवरण व परिकलन विचार-विमर्श के लिए तैयार रखें। यह तब और अधिक महत्त्वपूर्ण है, जब आपका आदेश निर्यात के लिए हो। आप अपने बैंक से जो ऋण सुविधा प्राप्त करेंगे, उसे निश्चित रूप से उन भुगतान विधियों के अनुरूप व्यवस्थित किए जाने की आवश्यकता होगी, जो आप अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ उपयोग करेंगे या जिन्हें आपके विदेशी क्रेता ने निर्धारित किया होगा। जब तक आप अपने बैंक के साथ ऋण एवं भुगतान विधियों के बारे में चर्चा नहीं कर लेते हैं, तब तक आपूर्तिकर्ताओं या ग्राहकों के साथ अंतिम रूप से संविदा पर हस्ताक्षर न करें। इसका कारण बिल्कुल स्पष्ट है। अधिकतर निर्यात-आयात संबंधी व्यवसाय करार या संविदाओं में भुगतान का स्वरूप और उधार (विलंबित भुगतान) की वे शर्तें नियत होती हैं, जो क्रेता या विक्रेता प्रस्तावित करते हैं या जिनकी अपेक्षा करते हैं। संविदा पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद, शर्तों में परिवर्तन करना संभव नहीं होगा और इससे उन सुविधाओं के दायरे सीमित हो जाते हैं, जो बैंकर आपको देने में समर्थ हो सकता है।  

व्यवसाय योजना

आपकी कंपनी की अद्यतन व्यवसाय योजना, जिसमें आगामी तीन से पाँच वर्षों के लिए अभिप्रेत पूँजी निवेश और पूर्वानुमानित राजस्व एवं व्यय दर्शाया गया हो, बैंकर या वित्तीय सलाहकार के साथ चर्चा के दौरान प्रस्तुत किया जाने वाले एक उत्कृष्ट एवं महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है।  यदि आपके पास ऐसी योजना नहीं है, तो उसे बना लेना उपयोगी होगा। यह आपके लिए व्यक्तिगत रूप से अतीव मूल्यवान होगा और जब आप अपने ऋणदाता से ऋण अनुरोध के बारे में विचार-विमर्श करेंगे, तो इससे आपकी विश्वसनीयता में वृद्धि होगी।

व्यवहार्यता अध्ययन

व्यवहार्यता अध्ययन सामान्यत: मध्यम अवधि या दीर्घावधि परियोजनाओं के संबंध में किए जाते हैं और अन्य कारणों के साथ-साथ, मध्यम अवधि से दीर्घावधि परियोजनाओं के ऋण का वित्तीयन जुटाने के लिए साधन के रूप में तैयार किए जाते हैं।  आप नई परियोजना शुरू करना चाहते होंगे या मौजूदा गतिविधि का विस्तार करना चाहते होंगे, और अपेक्षित अतिरिक्त पूँजीगत सामानों (जैसे – मशीनें, औज़ारीकरण, अतिरिक्त पुर्ज़ें और कच्चा माल) के वित्तीयन के लिए पूँजी चाहते होंगे। इसके लिए आपको अपने बैंकर को प्रस्तुत करने के लिए एक व्यवहार्यता अध्ययन आवश्यक होगा।  आपको उन प्रारूप ऋण करार या वास्तविक ऋण करार की प्रतियाँ भी देनी होंगी, जो अन्य ऋणदात्री संस्थाओं के साथ किए गए हैं। ये महत्त्वपूर्म हैं, क्योंकि ऋम करार में यह शर्त शामिल हो सकती है कि आप तब तक किसी अन्य ऋणदाता से उधार नहीं ले सकते हैं, जब तक कि वह गौण ऋम न हो।  इसका तात्पर्य यह है कि यदि स्थिर या चालू आस्तियों पर प्रथम ऋणदाता का स्थिर या चल प्रभार है, तो आप वे स्थिर या चालू आस्तियाँ गिरवी नहीं रख सकते हैं। ऐसी स्थिति में आप अपने बैंक को केवल द्वितीय प्रभार या कोई अन्य कम सुरक्षित स्वरूप की गारंटी ही दे सकेंगे। कई मायनों में, व्यवहार्यता अध्ययन व्यवसाय योजना के प्रस्तुतीकरण से भिन्न नहीं होता है। मुख्य अंतर उसके प्रयोजन में होता है।

आप जो गारंटी या संपार्श्विक प्रतिभूति दे सकते हैं

बहुत कम ऋणदाता आपको प्रतिभूति के बिना ऋण मंजूर करेंगे। आप क्या गारंटी या संपार्श्विक प्रतिभूति दे सकते हैं?

प्रतिभूति और संपार्श्विक पदों के अर्थ समान हैं

गारंटी वह है, जिसे आप आस्तियों को गिरवी रख कर ऋणदाताओं को देते हैं, और यदि आप ऋण चुकाने में चूक करते हैं, तो उस पर वे कब्ज़ा कर उसे बेच सकते हैं। गारंटी का एक दूसरा रूप ऋणदाता के पक्ष में बीमा पॉलिसी होता है या किसी तृतीय पक्ष की ओर से ऋण चुकाने का वचनपत्र होता है, यदि आप ऋण चुकाने में चूक करते हैं।  आप एक बैंक से ऋण लेने के लिए दूसरे बैंक से भी गारंटी प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप विदेश में किसी बैंक से ऋण लेते हैं, तो यह एक मौजूदा परंपरा है। विदेशी बैंक को कोई स्थानीय बैंक गारंटी देता है, जो विदेशी बैंक की तुलना में आपकी आस्तियों पर अधिक सरलता से प्रभार ले सकता है। प्रतिभूति का सबसे आम रूप स्थिर आस्तियों, विशेष रूप से भूमि एवं संपत्ति पर प्रभार (गिरवी) है। अधिकतर ऋणदाता यह अनुभव करते हैं कि भले ही उन्हें बाज़ार मूल्य से कम पर बेचा जाए, किंतु भूमि एवं संपत्तियों का क्रय-विक्रय आसानी से किया जा सकता है। फिर, भूमि एवं संपत्तियों का स्वत्व-विलेख के रूप में प्रामाणिक दस्तावेज़ उपलब्ध होता है और अनेक देशों में ये स्वत्व-विलेख प्राधिकारियों के पास पंजीकृत होते हैं और उन पर किसी प्रकार का भार भी अंकित होगा। (जब कोई आस्ति भारित होती है, तो अन्य पक्ष उस पर वैध दावा रखता है)। जब कोई आस्ति ऋणदाता को गिरवी रखी जाती है, तो उस पर भार हो जाता है और उसे किसी अन्य पक्ष को दुबारा गिरवी नहीं रखा जा सकता है, जब तक कि दोनों पक्ष प्रतिभूति का साझा करने के लिए तैयार नहीं होते हैं।   

अन्य स्थिर आस्तियाँ भी प्रतिभूति हो सकती हैं

मशीने, उपकरण, आदि। अक्सर ऋणदाता के लिए इन्हें प्रतिभूति मानना अव्यावहारिक होता है, क्योंकि उनका बाज़ार मूल्य निर्धारित करना बहुत कठिन होता है, विशेष रूप से तब जब वे नई न हों। कभी-कभी निवेश स्वीकार्य होते हैं, विशेष रूप से तब, जब उनकी वसूली (बिक्री) आसानी से की जा सकती हो। ऐसे निवेश शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर प्रमाणपत्र, बांड, डिबेन्चर, ट्रेज़री बिल, आदि के रूप में प्रमाणित रहते हैं। आप चालू आस्तियाँ, कच्चे माल का भांडार, परिष्कृत माल, निर्यात वस्तुएँ, और यहाँ तक कि प्राप्यराशियाँ भी गिरवी रख सकते हैं। गिरवी की सरलतम आस्ति नक़दी होती है। इसे नक़द संपार्श्विक प्रतिभूति कहते हैं। आपका ऋण नक़द रकम से सुरक्षित है! उधारकर्ता इस प्रकार की प्रतिभूति के लिए तब तत्पर होते हैं, जब उनके पास अन्य बैंक में चलनिधि मौजूद होती है, जिसे वे नहीं छूना चाहते हैं। (यह किसी अन्य मुद्रा में हो सकती है, किसी निवेश में लगी हो सकती है, तृतीय पक्ष के स्वामित्व वाली मौजूद निधियाँ हो सकती हैं, या उधारकर्ता के स्वामित्व वाली निधियाँ हो सकती हैं, किंतु उसके व्यवसाय का हिस्सा नहीं होंगी।) आप जिन आस्तियों को ऋण की प्रतिभूति के रूप में गिरवी रखने के लिए तैयार हैं, उनकी सूची तैयार रखें।  भूमि या अन्य संपत्ति के स्वत्व की प्रतियाँ बैंक को दिखाने के लिए लेकर आएँ। 

वित्तीय संस्थाएँ ली गई प्रतिभूतियों के पूरे मूल्य के बराबर कभी-कभार ही ऋण देती हैं

इसका कारण स्पष्ट है : यदि वे ऋण की चुकौती में चूक होने पर प्रतिभूति बेचती हैं, तो यह संभावित होता है कि उन्हें ऋण राशि से कम राशि प्राप्त हो। ऋणों की सुरक्षा के प्रति आवश्यक राशि एक देश से दूसरे देश में और एक आस्ति से दूसरी आस्ति के लिए अलग-अलग हो सकती है। कुछ मामलों में, आपको ऋण राशि से दो या अधिक गुना मूल्य की आस्तियाँ गिरवी रखनी पड़ सकती हैं। 

स्रोतइंटरनेशनल ट्रेड सेन्टर (जेनेवा) और सिडबी के संयुक्त प्रकाशन – ‘’हाउ टू एप्रोच बैंक्स इन इंडिया’’ 2002 का उद्धरण