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सेब की खेती कैसे करें सेब खाने के फायदे जानकर रह जायगे हैरान

शिमला: सेब की खेती के लिए एशिया का सबसे अमीर और पूरी दुनिया में मशहूर हिमाचल का ये गांव है। जानकारी के मुताबिक शिमला जिले के मड़ावग गांव को एशिया का सबसे अमीर गांव भी माना जाता है। यहां के सेबों को विदेशों में काफी पसंद किया जाता है। बता दें कि सेब की खेती ने इस गांव को डेवलप बना दिया है
क्या आपको पता है कि सेब सबसे पहले धरती पर कहां उगे? नहीं मालूम? तो, हम आपको बताते हैं. और बताते हैं सेब की कहानी.
वैज्ञानिक मानते हैं कि सेब सबसे पहले मध्य एशियाई देश कज़ाख़िस्तान में पैदा हुए थे. यहीं से ये बाक़ी दुनिया तक पहुंचे. कज़ाख़िस्तान की पहाड़ियों में जन्मा था सेब का पहला पेड़. इसी जंगली सेब से आज दुनिया भर में सेब की सैकड़ों नस्लें फल-फूल रही हैं.
साल 2013 में पूरी दुनिया मे आठ करोड़ टन सेब पैदा हुआ था. इसमें से भी आधा तो केवल चीन में पैदा किया गया. अकेले अमरीका मे सेब का कारोबार क़रीब चार अरब डॉलर का माना जाता है. दुनिया भर में सेब की सैकड़ों नस्लें हैं. सबकी अपनी अपनी पसंद हैं. किसी को खट्टी-मीठी ग्रैनी स्मिथ नाम की वैराइटी अच्छी लगती है. तो, किसी को बेहद मीठे सेब रेड डेलिशस.यूं तो आज दुनिया के तमाम देशों में सेब उगाए जाते हैं. जैसे भारत में ही कश्मीर और हिमाचल में सेब की कई नस्लें पैदा की जाती हैं. मगर वैज्ञानिक मानते हैं कि कज़ाख़िस्तान के पहाड़ी इलाक़ों में अभी भी सेब की कई नस्लें ऐसी हैं जो बाक़ी दुनिया को नहीं मालूम. इनकी ख़ूबियां तलाशने के लिए अमरीकी वैज्ञानिक फिल फोर्सलाइन 1993 में कज़ाख़िस्तान गए थे. फिल अपने तजुर्बे से बताते हैं कि कज़ाख़िस्तान के जंगली सेबों में कई ऐसी ख़ूबियां हैं जिनकी मदद से सेबों की नई नस्लें विकसित की जा सकती हैं.
सेब की पहली नस्ल 'मालस सिएवर्सी' मानी जाती है. ये प्रजाति आज भी कज़ाख़िस्तान के जंगलों में उगती है. जंगलों में इन सेबों के किसान होते हैं जंगली भालू. जो सेब कुतरकर इसके बीज यहां-वहां बिखेर देते हैं.
अमरीकी बाग़वानी एक्सपर्ट फिल फोर्सलाइन ने 1993 से 1996 के बीच कई बार कज़ाख़िस्तान का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने स्थानीय वैज्ञानिक ऐमसक ज़ांगालिएव की मदद से जंगली सेबों की कई नस्लों के बीज इकट्ठे कर लिए.
वो हर बार जंगल में जाते थे. सेब तोड़कर उसे चखते थे. उसका रंग, उसका स्वाद और दूसरी ख़ूबी नोट करते थे. साथ ही वो जहां मिला, उस ठिकाने का सही-सही पता दर्ज करते थे. फोर्सलाइन उन दिनों को याद करते हैं. वो कहते हैं कि जैसे वो आदम के बाग़ीचे में जा पहुंचे थे. जहां बेरी के आकार से लेकर बड़े-बड़े सेबों तक कई वेराइटी देखने को मिलीं
वर्ष 2016 में लगाए 40 पौधे
डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि उन्होंने प्रयोग के तौर पर 2016 में लो चीलिंग वेरायटी अन्ना के साथ गोल्डन डोरसेट पॉलिनाइजर के 40 पौधे लखनऊ के गोमती नगर स्थित अपने फार्म हाउस में लगाए। इन पौधें की ग्रोथ बहुत ही अच्छी रही। एक वर्ष के पौधों की लंबाई करीब 8 फीट और फैलाव 3-5 फीट हुआ है। एक वर्ष बाद ही फरवरी व मार्च, 2017 दोनों सेब की प्रजातियों में फूल आ गए और अप्रैल में लगभग सभी पौधों में सैंपल भी आ गया। पौधों में लगभग 15-40 फल लगे। फलों का आकार एवं रंग बहुत ही उत्तम किस्म का है। डॉ. सिंह ने बताया कि अन्ना सेब की लो चीलिंग वेरायटी है। इसके लिए महज 250 से 300 चीलिंग आवर्स की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों सोलन, बिलासपुर, सिरमौर जहां गुठलीदार फलों का उत्पादन हो सकता है, वहां पर अन्ना प्रजाति का सेब भी हो सकता है।
मैदानी क्षेत्रों में सेब न होने की धारणा को बदला
आज तक की धरणा है कि सेब ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में ही लगता है, लेकिन उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में डॉ. सिंह ने सफलतापूर्वक सेब का उत्पादन कर एक नया इतिहास रच दिया है। यही नहीं उन्होंने अपने फार्म हाउस में प्लम, आडू, बादाम, खुमानी, परसीमन, पीकान का भी सफलतापूर्वक रोपण किया है। इनमें से प्लम, आडू एवं नैक्ट्रीन में फल आना शुरू हो गया है।
पांच सेब प्रजातियों को लगाएंगे डॉ. सिंह
एक वर्ष में ही पैदावार में सफलता पाने के बाद डॉ. सिंह उत्साहित हैं और अब सेब की अन्य पांच प्रजातियों को अपने बागीचे में लगाने जा रहे हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि कर्नाटक के कुछ किसानों को भी सेब के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया गया और वहां के कई इलाकों में पौधे ने फल देना प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने बताया कि पंजाब के होशियारपुर जिला के दो बागवानों ने 5 एकड़ में सेब लगाकर इसी तरह की सफलता हासिल की है।
हिमाचल प्रदेश सेब की खेती के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। यहां एक ऐसा गांव है जहां के एक-एक किसान सेब खेती से करीब 75 लाख रुपए सालाना कमाते हैं। सेब की खेती ने इस गांव को इतना विकसित कर दिया है कि यह कहा तो गांव जाता है पर यहां पर आलीशान मकानों की कमी नहीं है। यहां हर साल करीब 150 करोड़ रुपए का सेब पैदा होता है। अब आप को हम इसका नाम बताते हैं इसका नाम है मड़ावग गांव।
सेब खाने के अधिक फायदे –
- खूबसूरत त्वचा – अगर आप सेब का उचित मात्रा में सेवन करते है तो आप त्वचा संबंधी रोग से दूर रहेंगे और आपकी त्वचा और भी चमकदार और निखरी हुयी दिखेगी क्योंकि इसमें में पाया जाने वाला तत्व हमारे शरीर के बाहरी त्वचा क सुरक्षित रखती है।
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- पाचन क्रिया – पाचन क्रिया को ठीक करना है तो आप सेब जरूर खाइये | बहुत से लोग तो इसका मुरब्बा घर पर ही बना कर किसी डिब्बे या बर्र्तन में रख लेते है और रोजाना खाते है क्योकि सेब खाने से पेट संबंधी सारी कमिया दूर होती है और अगर पेट सही कार्य करता है तो आपके शरीर को पूर्ण ऊर्जा भोजन करने पर मिलती है जिससे आपका स्वास्थ भी ठीक रहता है।
- हड्डियों में मजबूती – सेब में विटामिन C पाया जाता है जो हड्ड्दियो और दातों की मजबूती के लिए आवश्यक होता है |इसलिए सेब के खाने से हड्डियों में मजबूती आती है और दांत भी चमकदार होते है|
- पथरी में लाभ – सेब का सिरका , सेब का रस या फिर सेब इन सभी में से किसी के भी सेवन से सेब में पाए जाने वाला एसिड हमारे शरीर में पहुच कर पित्त की पथरी को गलाने का काम करता है इस तरह यह पथरी से पीड़ित रोगी के लिए भी बहुत लाभकारी होता है और इस रोग से निदान दिलाता है।
- कैंसर से बचाव – शोध में माना गया है की अगर आप सेब का सेवन नियमतः करते है तो आपको कैंसर होने की संभावना कम होती है। क्योकि इसमें इतने तत्व पाए जाते है की यह कैंसर के कारको को उपजने से रोकता है पर यह बात भी सही है की जब आप नियमित रूप से सप्ताह में ३ दिन इसका सेवन जरुर करे तभी |
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- संतुलित वजन – अगर आप का वजन बढ़ गया है तो सेब खाये क्योकि सेब वजन बिना बढ़ाये आपके शरीर को आवश्यक एनर्जी देता है।
- तेज दिमाग – तेज दिमाग का होना सबके लिए बहुत जरूरी होता है खास करके विद्यार्थियों के लिए इसका सेवन बहुत ही लाभदायक होता है क्योकि इसके सेवन करने से मस्तिष्क भी ठीक रहता है और व्यक्ति अधिक छमता से सोच पाता है ।
- रोग प्रतिरोधक वृद्धि – रोग प्रतिरोधक छमता जो हमारे शरीर के लिए रोगो से लड़ने के लिए बहुत जरुरी है को यह बढ़ता है अगर शरीर की प्रतिरोधक छमता अधिक हो तो रोग जल्दी नही होते है । सेब खाने से रोग प्रतिरोधक छमता बढती है।
- एनर्जी – सेब खाने से भूक मिटती है और शरीर को एनर्जी मिलता है। इसलिए सेब का सेवन अच्छा होता है अकसर लोग जब यात्रा करते है तो जरूर इसको यात्रा के दौरान खाने के लिए रख देते है नही तो खरीद कर सेवन करते है जिससे उन्हें कम भोजय में उचित ऊर्जा मिल जाये ।
- डाइबटीज – डाइबटीज रोग होने पर सेब का सेवन इस रोग को नियंत्रित करता है और आपको इससे मुक्ति दिलाता है। इसमें पाए जाने वाला स्टार्च रक्त द्वारा अवशोषित सर्करा की दर को काम करता है जिससे रक्त में सर्करा की मात्रा संतुलित होती है |
सेब खाने से होने बाले नुकसान
इसके खाने से होने वाले नुकसान और समस्या की बात करे तो एक ही मुख्य समस्या या नुकसान है – दातो का कमजोर होना या छय होना | इसमें पाए जाने वाला तिछ्द अम्ल हमारे दातो का छय करता है यह खासकर तब होता है जब हम इसके जूस का सेवन ज्यादा करते है | इससे बचने के लिए हमें इसका सेवन एक दिन के अंतर पर करना चाहिए