शीतली प्राणायाम

उद्गीथ प्राणायाम

उद्गीथ प्राणायाम

लम्बा, गहरा श्वांस फफड़ों में भरें और प्रणव का दीर्घ उच्चारण अर्थात नाभि की गहराई से करें। श्वांस भरने में 5 सैकण्ड व छोड़ते समय दो गुना अर्थात 10 सैकण्ड का समय लगावें। स्वर को मधुर व लयबद्ध बनाते हुये आधा समय ‘ओ’ का व आधा ‘म’ का मुहं बन्द रखते उच्चारण करें।

यह प्राणायाम 3 से 5 बार करें। इससे एकाग्रता आती है, मेरूदण्ड, फेफड़े मजबूत होते हैं, श्वांस की गति पर नियन्त्रण होता है। मानसिक शान्ति मिलती है।

 

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प्राणायाम दो शब्द प्राण एवं आयाम से मिलकर बना है

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प्राण शब्द जीवन का पर्यायवाची है जब तक शरीर में प्राण हैं तब तक जीवन है और जैसे ही प्राण शरीर को छोड़ देते हैं शरीर मृत्यु पर हो जाता है यहां प्राण का तात्पर्य प्राणवायू से है उपनिषद एक मान्यता के अनुसार जब प्यारी संसार में आता है तो वह निश्चित मात्रा में स्वास्थ्य लेकर आता है और उतनी ही स्वास्थ्य तक जीवित रहता है यह सत्य है कि प्राणी का जीवन 19 वर्षों तक ही सीमित है प्राणी अपने शरीर की रचना के अनुसार ही श्वास तेजी अधीर ग्रहण करता है कुछ प्राणी श्वास बहुत धीरे धीरे ग्रहण करते हैं और कुछ लंबी आयु के होते हैं तो कुछ प्यारी श्वास तेजी से ग्रहण करने के कारण अल्पायु ही प्राप्त करते हैं इस प्राण Read More : प्राणायाम दो शब्द प्राण एवं आयाम से मिलकर बना है about प्राणायाम दो शब्द प्राण एवं आयाम से मिलकर बना है