संपर्क : 7454046894
सेक्स रॉफ्टः जब 101 दिनों तक नाव पर कैद रहे 11 लोग
हिंसा और सेक्स को लेकर साल 1973 में एक प्रयोग किया गया था, जिसमें 11 लोगों को तीन महीने के लिए समंदर में तैरते एक रॉफ़्ट (एक तरह की नाव) पर रखा गया.
मक़सद था इस बात की पड़ताल करना कि क्या विपरीत परिस्थितियों में उनमें उग्रता या हिंसा के भाव आते हैं या नहीं.
अपने समय के दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिक और बॉयोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी के विशेषज्ञ रहे सैंटियागो जीनोव्स को ये विचार नवंबर 1972 में एक विमान हाईजैक के बाद आया, जिसमें वो खुद भी सवार थे.
ये विमान मांटीरे से मैक्सिको सिटी की उड़ान पर था जब पांच हथियारबंद लोगों ने विमान को हाईजैक कर लिया और कथित राजनीतिक बंदियों को छोड़े जाने के बदले विमान को सुरक्षित किया गया.
इस विमान में सवार जीनेव्स हिंसा के इतिहास पर हुए एक सम्मेलन में शिरक़त कर लौट रहे थे और उनके साथ 103 हवाई यात्री थे.
इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionइस प्रयोग से पहले एक और प्रयोग 1969 में हुआ था.
प्रयोग का विचार कैसे मिला?
जीनोव्स ने लिखा, "इस हाईजैक में वो वैज्ञानिक भी फंस गया था जिसकी पूरी ज़िंदगी हिंसात्मक व्यवहार का अध्ययन करते हुए गुजरी थी. मेरे दिमाग में हमेशा ये जानने की बात रहती थी कि आख़िर लोग क्यों झगड़ा करते हैं और उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है."
हाईजैक की इस घटना ने उन्हें इंसानी व्यवहार पर अध्ययन करने का एक आइडिया दे दिया. नॉर्वे के एक एंथ्रोपोलोजिस्ट थोर हायेरडाल के एक प्रयोग से भी जीनोव्स ने कुछ सबक लिया.
असल में इन दोनों ने पुरातन इजिप्शियन नाव की तरह हूबहू बनी एक नाव पर साल 1969 और 1970 के दरम्यान नौका यात्रा की थी. इस प्रयोग का मकसद ये दिखाना था कि अफ़्रीकी लोग कोलंबस से पहले अमरीका पहुंच सकते थे.
इसी दौरान जीनोव्स के दिमाग में विचार आया है कि समंदर की लहरों पर तैरता कोई समूह, इंसानी व्यवहार के अध्ययन के लिए एक प्रयोगशाला का काम कर सकता है.
इमेज कॉपीरइटFASAD PRODUCTIONS
पानी पर घर
हालांकि उनका प्रयोग ख़ास तौर पर तनाव भड़काने के लिए डिज़ाइन किया गया था.
मैक्सिको नेशनल यूनिवर्सिटी की पत्रिका में उन्होंने 1974 में लिखा, "जानवरों के साथ किए गए प्रयोगों से पता चलता है कि जब एक सीमित जगह में कई तरह के चूहों को रखा जाता है तो उनमें आक्रामकता आती है. मैं देखना चाहता था कि क्या ऐसा इंसानों के साथ भी होता है."
जीनोव्स ने इसके लिए 12x7 मीटर का एक रॉफ़्ट तैयार किया जिसमें 4x3,7 मीटर का एक केबिन बना था, जिसमें लोग बस सो सकते थे.
टॉयलट इससे बाहर बनाया गया था. इस रॉफ़्ट का नाम था एकैली, जिसका मैक्सिको में अर्थ होता है 'पानी पर घर'.
इस रॉफ़्ट पर 11 लोग, जिनमें जीनोव्स भी थे, कैनेरी द्वीप से मैक्सिको तक की यात्रा शुरू की. इसमें कोई इंजन नहीं था, न बिजली की व्यवस्था और न ही सपोर्ट के लिए कोई अन्य नाव थी.
प्रयोग में लोगों को शामिल करने के लिए जीनोव्स ने दुनिया भर में विज्ञापन निकाला. सैकड़ों लोगों के आवेदन आए लेकिन उनमें से केवल 10 लोगों को चुना गया, जिसमें छह महिलाएं और चार पुरुष थे.
इमेज कॉपीरइटFOLKETS BIO
इन्हें राष्ट्रीयता, धर्म और सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर चुना गया. इनमें केवल चार अविवाहित थे. इन्हें इसलिए चुना गया ताकि इस समूह में वे तनाव पैदा कर सकें.
स्वीडन की एक 30 साल की महिला मारिया जोर्नस्टम को कैप्टन बनाया गया और सारे मुख्य काम महिलाओं को दिए गए. पुरुषों को ग़ैर ज़रूरी काम थमाए गए.
जीनोव्स ने लिखा, "मैंने खुद से पूछा कि अगर महिलाओं को अधिकार दिए जाएं तो थोड़ी बहुत हिंसा की संभावना बनती है."
एकैली ने 13 मई 1973 को अपनी यात्रा शुरू की और मैक्सिको के द्वीप कोज़ुमेल की तरफ़ रवाना हुआ.
इमेज कॉपीरइटFASAD PRODUCTIONS
Image captionएकैली पर मौजूद सदस्य
सेक्स रॉफ्ट की अफ़वाहें
आज के रियलिटी शो की तरह उस समय एकैली पर अत्याधुनिक तकनीकी उपकरण नहीं थे, इसके बावजूद मीडिया में अटकलों और अफ़वाहों का दौर शुरू हो गया.
मीडिया में 'लव रॉफ़्ट पर सेक्स' की हेडिंग से कहानियां आने लगीं, जबकि उनका रॉफ़्ट के सदस्यों से कोई सम्पर्क नहीं था. इसलिए एकैली की ख्याति जल्द ही 'सेक्स रॉफ़्ट' के रूप में फैल गई लेकिन वहां के हालात कुछ और थे.
इमेज कॉपीरइटFASAD PRODUCTION
अपने लेख में जीनोव्स बताते हैं, "वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि हिंसा और सेक्स में संबंध होता है, जिनमें अधिकांश अंतरविरोध सेक्स को लेकर पुरुषों और महिलाओं में पैदा होते हैं. इसकी पड़ताल के लिए हमने सेक्सुअली आकर्षक चीजों को चुना. और चूंकि सेक्स अपराध बोध से जुड़ा होता है, मैंने अंगोला से एक रोमन कैथोलिक पादरी बर्नार्डो को शामिल किया था."
हालांकि जीनोव्स को इससे निराश होना पड़ा क्योंकि कई सदस्यों के बीच सेक्शुअल गतिविधि के बावजूद कोई तनाव या आक्रामकता घटित नहीं हुई.
लेकिन जीनोव्स के इस प्रयोग का और बड़ा मकसद था. जीनोव्स ने रॉफ़्ट की कैप्टन को बताया था कि 'इसका मकसद है ये पता लगाना कि धरती पर कैसे शांति पैदा की जाए.' लेकिन आक्रामकता और तनाव की जीनोव्स की उम्मीद पर पानी फिर रहा था, क्योंकि सिर्फ शार्क देखकर ही सदस्यों में तनाव पैदा होता था.
प्रयोग शुरू होने के 51 दिन बात जीनोव्स हताश हो गए. वो लिखते हैं, "हम उस महत्वपूर्ण सवाल का जवाब नहीं तलाश पा रहे थे कि क्या हम युद्ध के बिना जी सकते हैं?"
बाद में उन्हें एहसास होने लगा कि उनका तरीका आक्रामकता नहीं पैदा कर पा रहा है.
इमेज कॉपीरइटFASAD
कब बिगड़े हालात?
बाकी सदस्यों के मुकाबले जीनोव्स में नकारात्मक एहसास ज्यादा था. एकैली के कुछ सदस्यों ने स्वीकार किया कि क़रीब 50 दिन बाद उन्हें उस वैज्ञानिक की हत्या का विचार आया था.
इस ट्रिप में साथ रहीं अमरीकी इंजीनियर फ़ी सेमूर ने एकैली पर बनाई गई एक डॉक्युमेंट्री में बताया था, "ये विचार हममें एक साथ आया."
स्वीडेन की डायरेक्टर मार्कस लिंडीन ने इस प्रयोग में शामिल रहे छह सदस्यों को एक दूसरे से मिलाया था.
जोर्नस्टाम ने मार्कस लिंडीन को बताया कि जीनोव्स अपने प्रयोग को पूरा करने के लिए एक तानाशाह की तरह व्यवहार करने लगे थे, यहां तक कि कप्तान को भी चुनौती देने लगे थे.
जापान के ईसूके यामाकी ने बताया, "उनकी मानसिक हिंसा से निपटना बहुत मुश्किल होता था."
इसकी वजह से ही बाकी सदस्यों में उनकी हत्या का ख्याल आया. लोगों ने सोचा कि दुर्घटना के रूप में उन्हें समंदर में फेंक दिया जाए या उन्हें ऐसी दवा दे दी जाए जिससे हार्ट अटैक आ जाए.
फ़ी सेमूर ने डॉक्युमेंट्री में बताया, "मुझे डर था कि अगर ऐसा करते हैं तो स्थितियां और बिगड़ेंगी."
इमेज कॉपीरइटFASAD PRODUCTIONS
Image captionजीनोव्स खुद हताश हो गए थे.
हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ. जीनोव्स से साथ मामला कूटनीतिक तरीके से हल कर लिया गया, उसी तरह जैसे अन्य मसलों को हल किया जाता था.
जब एकैली मैक्सिको पहुंचा तो क्रू के सभी लोगों को अस्पताल में बिल्कुल अलग थलग भर्ती कर दिया गया. उनकी कई तरह की शारीरिक और मानसिक जांच की गईं.
जीनोव्स डिप्रेशन में चले गए थे और सेक्स बोट की ख़बर के बाद तो उनके विश्वविद्यालय ने भी उनसे दूरी बना ली थी.
हालांकि 2013 में अपनी मृत्यु तक वो अकादमिक कामों में सक्रिय रहे.
उनके साथ जो लोग प्रयोग के तौर पर गए थे उनके लिए ये यात्रा एक एडवेंचर के रूप में समाप्त हुई.
इमेज कॉपीरइटFASAD PRODUCTIONS
Image captionप्रयोग में शामिल रहे लोग बाएं से दाएं: मैरी गिड्ले, एडना रीव्स, फ़ी सेमूर, ईसूके यामाकी, मारिया जोर्नस्टाम और सर्वेन ज़ानोटी. इन्होंने डॉक्युमेंट्री में हिस्सा लिया था.
'सफ़ल प्रयोग'
हालांकि इस ट्रिप के दौरान उनके सामने कुछ कठिन पल आए लेकिन ग्रुप में कोई मतभेद नहीं पैदा हुआ. बल्कि उनके बीच भावनात्मक संबंध और मजबूत ही हुए.
इसीलिए फ़ी इसे एक सफ़ल प्रयोग मानती हैं.
ब्रिटिश अख़बार गार्डियन से उन्होंने कहा, "जीनोव्स हिंसा और संघर्ष पर फ़ोकस थे लेकिन अजनबियत से शुरू कर सभी हम बन गए."
लिंडीन ने इसी अख़बार को दिए साक्षात्कार में कहा था, "अगर जीनोव्स ने सुना होता कि लोग क्यों उस रॉफ़्ट पर सवार थे, तो उन्हें हिंसा के नतीजों के बारे में पता चल जाता और ये भी कि अपने मतभेदों से ऊपर उठकर हम हिंसा से भी उबर सकते हैं."